संधारणीयता बीईएल में जीवन जीने का एक तरीका है, कंपनी आईएसओ 14001:2015 पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली से प्रमाणित है जो सभी प्रकार के पर्यावरणीय मुद्दों को दूर करने के दृढ़ संकल्पित है।
कंपनी ने केंद्र सरकारी उद्यमों (सी. पी. एस. ई.) के लिए संधारणीय विकास (एस. डी.) पर सरकारी उद्यम विभाग (डी. पी. ई.) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ‘संधारणीय नीति’ स्थापित की है।
कंपनी प्राकृतिक संसाधनों और मानव-निर्मित संसाधनों के उपयोग में इष्टतम और निरंतर कमी लाने, जल, अपशिष्ट या ऊर्जा प्रबंधन, ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत का संवर्धन, जैव विविधता संरक्षण आदि पर पर्यावरणीय संधारणीयता परियोजनाएं; अपशिष्ट पदार्थों का न्यूनीकरण, पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण हेतु परियोजनाएं, वर्षा जल संचयन और भूजल की आपूर्ति को फिर से भरने, पारिस्थितिकी-प्रणाली का संरक्षण, संरक्षण और पुनःस्थापन, ऊर्जा दक्ष और वैकल्पिक ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को कम करने, आपूर्ति श्रृंखला को हरा-भरा करने और उत्पादन और सेवाओं में नवाचार जो संधारणीय विकास कार्यक्रम का हिस्सा हैं, की दिशा में आवश्यक पहल करती है।
ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन और पर्यावरणीय गिरावट की बढ़ती समस्या के साथ, बीईएल की योजना हमारी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए “स्वच्छ और अक्षय” ऊर्जा स्रोतों की ओर अग्रसर होने की थी। इस संबंध में, बीईएल द्वारा अक्षय ऊर्जा संसाधनों और ऊर्जा संरक्षण उपायों के माध्यम से “कार्बन तटस्थ स्थिति” प्राप्त करने के लिए कदम उठाए गए हैं।
बीईएल ऊर्जा संरक्षण में अग्रसक्रिय रही है, जिसके लिए अक्षय ऊर्जा का दोहन करना एक इसका सर्वोत्तम तरीका रहा है। कंपनी ने संचयी क्षमता 13.9 मेगावाट वाले के ऊर्जा क्षेत्रों की स्थापना की है। इन संयंत्रों से उत्पन्न ऊर्जा को सीमित उपभोग के लिए बैंकिंग व्यवस्था के माध्यम से बीईएल, बेंगलूरु कॉम्पलेक्स को भेजा जाता है।
क्षमता | कमीशनिंग वर्ष | कार्यारंभ से (किलोवॉट में) | प्रारम्भ से समतुल्य सीओ2 उत्सर्जन में कमी (टन में) |
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2.5 मेगा वाट | 2006 | 1099,12,045.47 | 102471 |
3 मेगा वाट | 2008 | 797,61,879.22 | 74362 |
8.4 मेगा वाट | 2016 | 534,21,645.39 | 49805 |
4 मेगा वाट | 2025 | योजित। |
अब तक पवन ऊर्जा संयंत्रों से कुल 28.12 करोड़ यूनिट ऊर्जा का उत्पादन हुआ है, जिससे कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन में कुल मिलाकर 2,26,638 टन की कमी आई है।
अक्षय ऊर्जा का योगदान बढ़ाने के लिए अतिरिक्त 4 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र की स्थापना योजनाधीन है।
ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्र की कुल संचयी क्षमता 5.1 मेगावाट है जो सभी बीईएल यूनिटों के विभिन्न भवनों की छतों पर स्थापित है जिनसे 54 लाख यूनिट ऊर्जा का उत्पादन किया गया। इसने बीईएल की सभी यूनिटों की कुल ऊर्जा खपत में लगभग 9.8% का योगदान दिया है।
अक्षय ऊर्जा (आरई) परियोजनाओं से ऊर्जा का उत्पादन दिन-प्रतिदिन के मौसम की परिस्थितियों पर निर्भर करता है और इसलिए, उत्पादित ऊर्जा अत्यधिक परिवर्तनशील और सविराम प्रकृति की होती है। आरई की आपूर्ति की रुकावट से निपटने के लिए, स्वच्छ, सस्ती, विश्वसनीय और निर्बाध बिजली प्रदान करने हेतु पर्याप्त संतुलित संसाधन विकसित और प्रयुक्त किए जाने की आवश्यकता है। “सोलर प्लस स्टोरेज” नामक छत पर लगने वाले सौर संयंत्रों के अतिरिक्त एक बैटरी आधारित ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) का प्रस्ताव प्रूफ ऑफ कंसेप्शन (पीओसी) प्रदर्शन के रूप में किया गया। वितरित ऊर्जा भंडारण को एकीकृत करने और संबंधित लाभों और लागत का मूल्यांकन करने के विकल्पों का आंकलन करने के लिए, एक 100 केडब्ल्यूएच बैटरी आधारित ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) स्थापित की गई। इसके उपरांत, जीवाश्म ईंधन आधारित 250 केवीए डीजी सेट के विकल्प के रूप में बीईएल परिसर के भीतर 200 केडब्ल्यू 100 केडब्ल्यूएच बीईएसएस की अतिरिक्त क्षमता स्थापित की गई है।
अल्पकालीन रूप से बिजली बाधित होने पर और अधिकतम मांग को नियंत्रित करने के लिए डीजी सेटों पर निर्भरता को कम करने के लिए बनाई गई योजना के अनुसार 5 मेगावाट क्षमता की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) की योजना बनाई गई है।
ऊर्जा संरक्षण के उपाय:
ऊर्जा दक्ष सेंट्रीफ्यूगल एयर कम्प्रेसर की स्थापना।
वीआरवी आधारित एयर कंडीशनिंग प्रणालियों का आरंभ।
बीईएल ने निम्न के माध्यम से जल संधारणीयता के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण स्थापित किया है।
पुनः उपयोग हेतु छत पर वर्षा जल संग्रहण
आरओ उत्पादन के लिए पानी के पुनः उपयोग के लिए रूफ टॉप वर्षा जल संचयन का सृजन किया गया, जिससे प्रत्येक वर्ष कम टीडीएस के 500-600 घन मीटर पानी एकत्र किया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप लगभग 800-1000 घन मीटर ताजे पानी की बचत होती है।
भूजल स्तर को रिचार्ज करने के लिए अपनाई गई रीचार्जिंग पद्धति निम्नलिखित है
बोरवेल की नवोन्मेषी रिचार्जिंग से हमें भवन के निकट और बोरवेल के निकट बोरवेल के रिचार्जिंग की सुविधा के लिए बहते पानी को एकत्रित करने में सहायता मिलती है। 685 एकड़ के बेंगलूरु परिसर में 45 रिचार्ज गड्ढे बनाए गए हैं। रिचार्जिंग पिट से ओवरफ्लो को लगभग 234 मिलियन लीटर की अनुमानित वार्षिक उपज के साथ 170 मिलियन लीटर की क्षमता वाले बड़े वर्षा जल संचयन जलाशय में परिवर्तित किया जाता है।
वर्षा जल संग्रह तालाब
विभिन्न पहलों द्वारा जल का संरक्षण किया जाता है जैसे :
डोड्डाबोम्मसंद्रा झील नरसीपुरा झील, तिंडलू की झरनों की श्रृंखला में मुख्य झीलों में से एक है, जो हेब्बल झील में गिरती है और अंत में दक्षिण पिनाकिनी नदी बनाती है और मालूर की ओर बहकर कावेरी नदी में मिलती है। 1990 के दशक के अंत में, बारिश के पैटर्न में परिवर्तन होने पर थिंडलू और नरसीपुरा झील से डोड्डाबोमसांद्रा झील तक कोई जल प्रवाह नहीं था और यह झील 2002 के आसपास सूख गई। समस्या इतनी गंभीर थी जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। पूरे क्षेत्र में और आसपास के कुओं में धीरे-धीरे पानी खत्म हो रहा था। विद्यारण्यपुरा, गोविंदयनपल्या, तिंडलू और बीईएल क्षेत्रों में डोड्डबोम्मसंद्रा जलविभाजक क्षेत्र के लगभग 3 लाख निवासियों के लिए पानी की कमी एक प्रमुख समस्या थी।
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने बीईएल कार्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) योजना के तहत 13.5 करोड़ रुपए की लागत से 10 एमएलडी के सीवेज उपचार संयंत्र की स्थापना के साथ डोड्डाबोमसंदरा झील का कायाकल्प करने का काम शुरू किया है। यह परियोजना पानी के स्रोत के रूप में अपस्ट्रीम क्षेत्र के शोधित सीवेज का पूरक बनकर गर्मियों के दौरान झील में वाष्पीकरण के ह्रास में वृद्धि करके झील के पुनरोद्धार करने से संबंधित है। बरसात के मौसम को छोड़कर, झीलें सूख जाती थीं और झील की जैव विविधता पूरी तरह गड़बड़ा जाती थी। ऐसा एक दशक से अधिक समय तक होता रहा।
इसे देखते हुए, बीईएल ने झील में सभी मौसमों में पूरा पानी की उपलब्धता द्वारा बेहतर जलीय वनस्पति और जीव-जंतु के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए 10 एमएलडी एसटीपी की स्थापना कराकर झील के कायाकल्प करने का कार्य शुरू किया। इस परियोजना को कर्नाटक झील संरक्षण और विकास प्राधिकरण (केएलसीडीए), बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) और राजस्व विभाग के सहयोग से आरंभ किया गया है।
एसटीपी को पीएलसी/एससीएडीए नियंत्रण का उपयोग करते हुए “क्रमिक बैच रिएक्टर (एसबीआर)” प्रौद्योगिकी पर डिज़ाइन किया गया है, एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें जैविक उपचार के लिए एसबीआर इकाइयों में मलजल डाला जाता है, और यह “क्रियाशील स्लज प्रक्रिया (एएसपी)” का उन्नत उपचार है। संयंत्र का रखरखाव बीईएल द्वारा 20 वर्षों की अवधि के लिए किया जाएगा।
उपर्युक्त परियोजना से कई लाभ हैं जैसे वनस्पतियों और जीव-जंतुओं को बढ़ावा देना, भूजल रिचार्जिंग द्वारा भूजल स्तर बढ़ाना, पक्षियों और स्तनधारियों को प्रजनन और पर्यावरण में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करना और झील में मलजल के निस्तारण को रोककर प्रदूषण में कमी लाना है।
गृहा (जीआरआईएचए) रेटिंग के अनुपालन को पूरा करने के लिए बीईएल ने सभी नई इमारतों में हरित भवन की अवधारणा आरंभ की है। यह अवधारणा डिजाइन से शुरू होकर बुनियादी ढांचे की जरूरतों और पर्यावरणीय संरक्षण में संतुलन पैदा करने और ऊर्जा फुटप्रिंट को कम करने के लिए है। जिसके लिए निम्न का उपयोग किया जाता है
समेकित भवन प्रबंधन प्रणाली (आईबीएमएस)
बीईएल में हमने पारिस्थितिकी संधारणीयता और हरियाली के लिए एक विकास यात्रा आरंभ की है। हमारे परिसरों में लगभग 1500 विभिन्न प्रकार के पौधे उगाए जाते हैं और यह विभिन्न पक्षियों और अन्य प्राणियों का निवास स्थल है। बेंगलूर में अपने 685-हेक्टेयर हरे-भरे परिसर में हमने लगभग 5,18,000 वर्ग मीटर के घास के मैदान और 23,000 मीटर की हेजों (झड़ियों की दीवार) के साथ-साथ 1,41,000 से अधिक पेड़ों का रख-रखाव किया है।
धूल को रोकने, गर्मी को अवशोषित करने, कार्बन सिंक बनाने और ताजा ऑक्सीजन छोड़ने में यह हरित भूमि सहयोग करती है। कई हेक्टेयर भूमि पर हरे-भरे बागान भारत इलेक्ट्रॉनिक्स की वनीकरण की प्रतिबद्धता का साक्ष्य हैं।
बीईएल परिसर में हरियाली
उन्नत व सटीक कृषि को सक्षम बनाने के लिए सेंसर आधारित प्रणालियों में अनुसंधान और विकास का मार्ग प्रशस्त करने के लिए आईसीएआर-आईआईएचआर और बीईएल के बीच सहयोग किया गया है। अत्याधुनिक सेंसर और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करते हुए इस परियोजना का उद्देश्य संसाधन उपयोग का इष्टतम उपयोग करना, फसल की निगरानी करना और समग्र कृषि प्रबंधन में सुधार करना है।
आईसीएआर-आईआईएचआर और बीईएल दोनों को उम्मीद है कि इस सहयोग के परिणाम किसानों को बहुत लाभान्वित करेंगे, खाद्य उत्पादन बढ़ाएंगे और कृषि क्षेत्र के सतत विकास में योगदान देंगे।
हमने अपशिष्ट पदार्थ के उचित प्रबंधन के लिए स्रोत पृथक्करण प्रणाली स्थापित की है। कॉलोनी के जैविक रूप से बायोडिग्रेडेबल भोजन और कॉलोनी के हरे कचरे को परिवर्तित करने के लिए हमारे पास 1.0 टन जैविक अपशिष्ट परिवर्तक है। इस प्रकार उत्पन्न खाद का उपयोग हमारे एस्टेट में बागवानी अनुप्रयोग के लिए किया जाता है। हरे कचरे से प्राकृतिक रूप से वानस्पतिक खाद बनाई जाती है और हरे कचरे की मात्रा को कम करने के लिए एक लीफ श्रेडर का उपयोग किया जाता है। कैंटीन के खाद्य कचरे को 2 टन के बायो-मेथेनेशन संयंत्र में संसाधित किया जाता है ताकि खाना पकाने के लिए बायोगैस पैदा हो जिससे ~ 50 एससीएम पीएनजी की बचत होती है। बेंगलुरु में ठोस अपशिष्ट उपचार सुविधा में जमीन में गाड़ने वाले कचरे को संसाधित किया जाता है।
हमारे प्रतिबद्ध पर्यावरण हितैषी कार्यों की सराहना करते हुए बीईएल, बेंगलूरु परिसर को निम्नलिखित पुरस्कार प्रदान किए गए हैं
दैनिक भास्कर इंडिया प्राइड पुरस्कार