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भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड

निर्वहनीय विकास संबंधी पहल

परिचय

  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक नवरत्न उपक्रम है।
  • बीईएल एक अग्रणी पेशेवर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी है जो थल सेना, नौसेना, वायु सेना और अन्य सम्मानित ग्राहकों के लिए अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक व्यावसायिक ग्रेड इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों और प्रणालियों के डिजाइन और निर्माण में संलग्न है।

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स में पर्यावरण प्रबंधन:

  • बीईएल निम्नलिखित में दीर्घकालिक पर्यावरणीय संधारणीयता को ध्यान में रखते हुए एक सुसंरचित कार्पोरेट पर्यावरण नीति द्वारा निर्देशित होती है
  • संधारणीयता बीईएल में जीवन जीने का एक तरीका है, कंपनी आईएसओ 14001:2015 पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली से प्रमाणित है जो सभी प्रकार के पर्यावरणीय मुद्दों को दूर करने के दृढ़ संकल्पित है।

संधारणीय विकास:

कंपनी ने केंद्र सरकारी उद्यमों (सी. पी. एस. ई.) के लिए संधारणीय विकास (एस. डी.) पर सरकारी उद्यम विभाग (डी. पी. ई.) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ‘संधारणीय नीति’ स्थापित की है।

कंपनी प्राकृतिक संसाधनों और मानव-निर्मित संसाधनों के उपयोग में इष्टतम और निरंतर कमी लाने, जल, अपशिष्ट या ऊर्जा प्रबंधन, ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत का संवर्धन, जैव विविधता संरक्षण आदि पर पर्यावरणीय संधारणीयता परियोजनाएं; अपशिष्ट पदार्थों का न्यूनीकरण, पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण हेतु परियोजनाएं, वर्षा जल संचयन और भूजल की आपूर्ति को फिर से भरने, पारिस्थितिकी-प्रणाली का संरक्षण, संरक्षण और पुनःस्थापन, ऊर्जा दक्ष और वैकल्पिक ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को कम करने, आपूर्ति श्रृंखला को हरा-भरा करने और उत्पादन और सेवाओं में नवाचार जो संधारणीय विकास कार्यक्रम का हिस्सा हैं, की दिशा में आवश्यक पहल करती है।

ऊर्जा संधारणीयता:

ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन और पर्यावरणीय गिरावट की बढ़ती समस्या के साथ, बीईएल की योजना हमारी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए “स्वच्छ और अक्षय” ऊर्जा स्रोतों की ओर अग्रसर होने की थी। इस संबंध में, बीईएल द्वारा अक्षय ऊर्जा संसाधनों और ऊर्जा संरक्षण उपायों के माध्यम से “कार्बन तटस्थ स्थिति” प्राप्त करने के लिए कदम उठाए गए हैं।

इसका उद्देश्य 2025-26 तक कार्बन तटस्थ और नेट ज़ीरो ग्रिड प्राप्त करना है।

आरई 100 स्थिति प्राप्त करने के लिए योजना (नेट ज़ीरो ग्रिड ऊर्जा)

पवन ऊर्जा विद्युत संयंत्र:

बीईएल ऊर्जा संरक्षण में अग्रसक्रिय रही है, जिसके लिए अक्षय ऊर्जा का दोहन करना एक इसका सर्वोत्तम तरीका रहा है। कंपनी ने संचयी क्षमता 13.9 मेगावाट वाले के ऊर्जा क्षेत्रों की स्थापना की है। इन संयंत्रों से उत्पन्न ऊर्जा को सीमित उपभोग के लिए बैंकिंग व्यवस्था के माध्यम से बीईएल, बेंगलूरु कॉम्पलेक्स को भेजा जाता है।

क्षमता कमीशनिंग वर्ष कार्यारंभ से (किलोवॉट में) प्रारम्भ से समतुल्य सीओ2 उत्सर्जन में कमी (टन में)
2.5 मेगा वाट 2006 1099,12,045.47 102471
3 मेगा वाट 2008 797,61,879.22 74362
8.4 मेगा वाट 2016 534,21,645.39 49805
4 मेगा वाट 2025 योजित।

अब तक पवन ऊर्जा संयंत्रों से कुल 28.12 करोड़ यूनिट ऊर्जा का उत्पादन हुआ है, जिससे कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन में कुल मिलाकर 2,26,638 टन की कमी आई है।

अक्षय ऊर्जा का योगदान बढ़ाने के लिए अतिरिक्त 4 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र की स्थापना योजनाधीन है।

रूफ टॉप सौर ऊर्जा संयंत्र:

ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्र की कुल संचयी क्षमता 5.1 मेगावाट है जो सभी बीईएल यूनिटों के विभिन्न भवनों की छतों पर स्थापित है जिनसे 54 लाख यूनिट ऊर्जा का उत्पादन किया गया। इसने बीईएल की सभी यूनिटों की कुल ऊर्जा खपत में लगभग 9.8% का योगदान दिया है।

वर्ष 2022-23 के दौरान कुल अक्षय ऊर्जा का योगदान कुल ऊर्जा खपत का लगभग 49% है।
Roof top solar power
Roof Top Solar Power
Wind power plant
Wind Power Plant

बैटरी आधारित ऊर्जा भंडारण प्रणाली:

अक्षय ऊर्जा (आरई) परियोजनाओं से ऊर्जा का उत्पादन दिन-प्रतिदिन के मौसम की परिस्थितियों पर निर्भर करता है और इसलिए, उत्पादित ऊर्जा अत्यधिक परिवर्तनशील और सविराम प्रकृति की होती है। आरई की आपूर्ति की रुकावट से निपटने के लिए, स्वच्छ, सस्ती, विश्वसनीय और निर्बाध बिजली प्रदान करने हेतु पर्याप्त संतुलित संसाधन विकसित और प्रयुक्त किए जाने की आवश्यकता है। “सोलर प्लस स्टोरेज” नामक छत पर लगने वाले सौर संयंत्रों के अतिरिक्त एक बैटरी आधारित ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) का प्रस्ताव प्रूफ ऑफ कंसेप्शन (पीओसी) प्रदर्शन के रूप में किया गया। वितरित ऊर्जा भंडारण को एकीकृत करने और संबंधित लाभों और लागत का मूल्यांकन करने के विकल्पों का आंकलन करने के लिए, एक 100 केडब्ल्यूएच बैटरी आधारित ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) स्थापित की गई। इसके उपरांत, जीवाश्म ईंधन आधारित 250 केवीए डीजी सेट के विकल्प के रूप में बीईएल परिसर के भीतर 200 केडब्ल्यू 100 केडब्ल्यूएच बीईएसएस की अतिरिक्त क्षमता स्थापित की गई है।

अल्पकालीन रूप से बिजली बाधित होने पर और अधिकतम मांग को नियंत्रित करने के लिए डीजी सेटों पर निर्भरता को कम करने के लिए बनाई गई योजना के अनुसार 5 मेगावाट क्षमता की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) की योजना बनाई गई है।

ऊर्जा संरक्षण के उपाय:

  • ऊर्जा दक्ष सेंट्रीफ्यूगल एयर कम्प्रेसर की स्थापना।

  • वीआरवी आधारित एयर कंडीशनिंग प्रणालियों का आरंभ।

  • पम्पों के लिए ऊर्जा दक्ष मोटर, मोटरों के लिए परिवर्तनीय फ्रीक्वेंसी ड्राइव के साथ ब्लोअर और कूलिंग टॉवर्स के सेंट्रीफ्यूगल पंखे।
  • 5 स्टार रेटिंग वाले ऊर्जा दक्ष स्प्लिट एयर कंडीशनर और कोल्ड स्टोरेज का उपयोग।
  • एयर कंडीशनिंग क्षेत्रों का इष्टतम उपयोग और ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए पोर्टेबल चिलर का उपयोग।
  • परिवर्तनीय कूलिंग लोड की मांग की पूर्ति के लिए वातानुकूलन संयंत्रों में ऊर्जा दक्ष स्क्रू चिलर।
  • अधिभोग के आधार पर प्रकाश नियंत्रण और दिन के प्रकाश के उपयोग के साथ डीएएलआई आधारित प्रबंधन प्रणाली
  • आंतरिक और वाह्य प्रकाश अनुप्रयोगों के लिए एलईडी की स्थापना।
  • जटिल एचवीएसी के प्रभावी/अनुकूलित संचालन और निगरानी के लिए एचवीएवी स्वचालन (हीटिंग वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग) ।
  • यूपीएस कक्षों, बैटरी कक्षों आदि जैसे अनवरत(24x 7) प्रचालनों का इन्वर्टर टाइप स्प्लिट एयर कंडीशनर का उपयोग

जल संधारणीयता:

बीईएल ने निम्न के माध्यम से जल संधारणीयता के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण स्थापित किया है।

  1. पुनः उपयोग हेतु छत पर वर्षा जल संग्रहण

  2. जलभृतों का पुनर्भरण
  3. तृतीयक शोधित जल का पुनः उपयोग।
  4. जल संरक्षण

जल की सकारात्मक स्थिति प्राप्त करने हेतु योजना

क. पुनः उपयोग हेतु रूफ टॉप वर्षाजल संग्रहण

आरओ उत्पादन के लिए पानी के पुनः उपयोग के लिए रूफ टॉप वर्षा जल संचयन का सृजन किया गया, जिससे प्रत्येक वर्ष कम टीडीएस के 500-600 घन मीटर पानी एकत्र किया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप लगभग 800-1000 घन मीटर ताजे पानी की बचत होती है।

ख. भूजल तालिका का पुनर्भरण

भूजल स्तर को रिचार्ज करने के लिए अपनाई गई रीचार्जिंग पद्धति निम्नलिखित है

  • स्थानीय रिचार्जिंग गड्ढे
  • वृहद जलाशय

बोरवेल की नवोन्मेषी रिचार्जिंग से हमें भवन के निकट और बोरवेल के निकट बोरवेल के रिचार्जिंग की सुविधा के लिए बहते पानी को एकत्रित करने में सहायता मिलती है। 685 एकड़ के बेंगलूरु परिसर में 45 रिचार्ज गड्ढे बनाए गए हैं। रिचार्जिंग पिट से ओवरफ्लो को लगभग 234 मिलियन लीटर की अनुमानित वार्षिक उपज के साथ 170 मिलियन लीटर की क्षमता वाले बड़े वर्षा जल संचयन जलाशय में परिवर्तित किया जाता है।

वर्षा जल संग्रह तालाब

ग. तृतीयक शोधित जल का पुनः उपयोग

  1. बीईएल को 1980 के दशक के प्रारंभ में सीवेज और अपशिष्ट उपचार संयंत्र को प्रशोधित करने के लिए एक अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र स्थापित करने की दूरदृष्टि थी जिसे शून्य निर्वहन की वर्तमान स्थिति तक तृतीयक उपचार के बाद पुनः उपयोग के स्तर तक पहुंचाने के लिए आगे बढ़ाया गया था।
  2. उपचार के बाद निकलने वाले अपशिष्टों का इलेक्ट्रोप्लेटिंग अनुप्रयोगों में पुनः उपयोग किया जाता है जबकि घरेलू अपशिष्ट का उपयोग बागवानी प्रयोजनों के लिए किया जाता है। उत्पन्न अपशिष्ट जल का उपचार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानदंडों को पूरा करने के लिए किया जाता है।
  3. कंपनी शून्य निस्सारी उत्सर्जन सुनिश्चित करती है।

घ. जल संरक्षण

विभिन्न पहलों द्वारा जल का संरक्षण किया जाता है जैसे :

  1. वॉटर कूल्ड कम्प्रेसर से एयर कूल्ड कम्प्रेसर में बदलना।
  2. सौर वेफ़र विनिर्माण में परिचालन के समकालिक अनुक्रमों के लिए प्रक्रिया प्रवाह संशोधन करना ।
  3. हौदी और ओवरहेड टैंकों में ऑटो लेवल कंट्रोल स्विच लगाना।
  4. प्रभावी जल उपयोग के लिए मैनुअल स्प्रे के स्थान पर छिड़काव वाली सिंचाई प्रणाली की शुरुआत करना ।
  5. पानी की पुनः प्राप्ति के लिए कीचड़ से पानी निकालने की प्रणाली आरंभ करना।
  6. नए भवनों में डुअल-प्लंबिंग प्रणाली की शुरुआत।
  7. ताजे पानी के बजाय उत्पादन और बागवानी के लिए शोधित पानी का पुनः उपयोग।
  8. टाइमर आधारित पम्पिंग प्रणाली के माध्यम से सक्षम भूजल प्रबंधन।
  9. सफाई हेतु कम पानी की आवश्यकता के लिए प्रोसेसिंग टैंक में एयर एजीटेशन
  10. मांग आधारित जल प्रबंधन प्रणाली।
  11. कोटद्वार यूनिट में शून्य द्रव निर्वहन प्राप्त करने के लिए 300 केएलडी के सीवेज उपचार संयंत्र की स्थापना।

झील का पुनरोद्धार - शहरी जल प्रबंधन हेतु - डोड्डबोम्मसंद्रा झील के पुनरोद्धार की सफलता की कहानी

डोड्डाबोम्मसंद्रा झील नरसीपुरा झील, तिंडलू की झरनों की श्रृंखला में मुख्य झीलों में से एक है, जो हेब्बल झील में गिरती है और अंत में दक्षिण पिनाकिनी नदी बनाती है और मालूर की ओर बहकर कावेरी नदी में मिलती है। 1990 के दशक के अंत में, बारिश के पैटर्न में परिवर्तन होने पर थिंडलू और नरसीपुरा झील से डोड्डाबोमसांद्रा झील तक कोई जल प्रवाह नहीं था और यह झील 2002 के आसपास सूख गई। समस्या इतनी गंभीर थी जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। पूरे क्षेत्र में और आसपास के कुओं में धीरे-धीरे पानी खत्म हो रहा था। विद्यारण्यपुरा, गोविंदयनपल्या, तिंडलू और बीईएल क्षेत्रों में डोड्डबोम्मसंद्रा जलविभाजक क्षेत्र के लगभग 3 लाख निवासियों के लिए पानी की कमी एक प्रमुख समस्या थी।

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने बीईएल कार्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) योजना के तहत 13.5 करोड़ रुपए की लागत से 10 एमएलडी के सीवेज उपचार संयंत्र की स्थापना के साथ डोड्डाबोमसंदरा झील का कायाकल्प करने का काम शुरू किया है। यह परियोजना पानी के स्रोत के रूप में अपस्ट्रीम क्षेत्र के शोधित सीवेज का पूरक बनकर गर्मियों के दौरान झील में वाष्पीकरण के ह्रास में वृद्धि करके झील के पुनरोद्धार करने से संबंधित है। बरसात के मौसम को छोड़कर, झीलें सूख जाती थीं और झील की जैव विविधता पूरी तरह गड़बड़ा जाती थी। ऐसा एक दशक से अधिक समय तक होता रहा।

इसे देखते हुए, बीईएल ने झील में सभी मौसमों में पूरा पानी की उपलब्धता द्वारा बेहतर जलीय वनस्पति और जीव-जंतु के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए 10 एमएलडी एसटीपी की स्थापना कराकर झील के कायाकल्प करने का कार्य शुरू किया। इस परियोजना को कर्नाटक झील संरक्षण और विकास प्राधिकरण (केएलसीडीए), बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) और राजस्व विभाग के सहयोग से आरंभ किया गया है।

एसटीपी को पीएलसी/एससीएडीए नियंत्रण का उपयोग करते हुए “क्रमिक बैच रिएक्टर (एसबीआर)” प्रौद्योगिकी पर डिज़ाइन किया गया है, एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें जैविक उपचार के लिए एसबीआर इकाइयों में मलजल डाला जाता है, और यह “क्रियाशील स्लज प्रक्रिया (एएसपी)” का उन्नत उपचार है। संयंत्र का रखरखाव बीईएल द्वारा 20 वर्षों की अवधि के लिए किया जाएगा।

उपर्युक्त परियोजना से कई लाभ हैं जैसे वनस्पतियों और जीव-जंतुओं को बढ़ावा देना, भूजल रिचार्जिंग द्वारा भूजल स्तर बढ़ाना, पक्षियों और स्तनधारियों को प्रजनन और पर्यावरण में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करना और झील में मलजल के निस्तारण को रोककर प्रदूषण में कमी लाना है।

स्वच्छतर प्रौद्योगिकी:

  • इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण प्रक्रियाओं में स्वच्छ प्रौद्योगिकी को आरंभ करने में निरंतर सुधार का प्रयास सदैव एक मजबूत अनुसंधान एवं विकास के सतत सहयोग द्वारा ही समर्थित होता है।
  • यूरोपीय और अन्य अंतर्राष्ट्रीय निर्देशों का पालन करने के लिए आरओएचएस-अनुपालन करने वाले घटक और प्रक्रियाएं शुरू की गईं हैं जैसे
    • पीसीबी विनिर्माण में सरफेस ट्रीटमेंट प्रक्रिया
    • कम धुएं वाले हैलोजन केबलों का उपयोग।
    • क्रोम आधारित न्यून – वीओसी फिनिशिंग प्रक्रियाएं (पॉलीयूरीथेन) और त्रिवेलेंट क्रोमेट कन्वर्जन कोटिंग्स।

हरित भवन:

गृहा (जीआरआईएचए) रेटिंग के अनुपालन को पूरा करने के लिए बीईएल ने सभी नई इमारतों में हरित भवन की अवधारणा आरंभ की है। यह अवधारणा डिजाइन से शुरू होकर बुनियादी ढांचे की जरूरतों और पर्यावरणीय संरक्षण में संतुलन पैदा करने और ऊर्जा फुटप्रिंट को कम करने के लिए है। जिसके लिए निम्न का उपयोग किया जाता है

  • प्राकृतिक प्रकाश का अधिक उपयोग करना।
  • आंतरिक कार्य के लिए पवन ऊर्जा द्वारा संचालित रूफ एक्सट्रैक्टर।
  • गर्मी कम करने के लिए पफ इंसुलेटेड रूफिंग शीट।
  • प्रत्यक्ष रूप से गर्मी से बचने के लिए भवन का अभिविन्यास।
  • एयर-कंडीशनिंग को अनुकूलित करने के लिए वेरिएबल रेफ्रिजरेंट वॉल्यूम सिस्टम।
  • समेकित भवन प्रबंधन प्रणाली (आईबीएमएस)

  • आंतरिक प्रकाश के लिए स्काईलाइट पाइप प्रणाली।

पारिस्थितिकी संधारणीयता:

बीईएल में हमने पारिस्थितिकी संधारणीयता और हरियाली के लिए एक विकास यात्रा आरंभ की है। हमारे परिसरों में लगभग 1500 विभिन्न प्रकार के पौधे उगाए जाते हैं और यह विभिन्न पक्षियों और अन्य प्राणियों का निवास स्थल है। बेंगलूर में अपने 685-हेक्टेयर हरे-भरे परिसर में हमने लगभग 5,18,000 वर्ग मीटर के घास के मैदान और 23,000 मीटर की हेजों (झड़ियों की दीवार) के साथ-साथ 1,41,000 से अधिक पेड़ों का रख-रखाव किया है।

धूल को रोकने, गर्मी को अवशोषित करने, कार्बन सिंक बनाने और ताजा ऑक्सीजन छोड़ने में यह हरित भूमि सहयोग करती है। कई हेक्टेयर भूमि पर हरे-भरे बागान भारत इलेक्ट्रॉनिक्स की वनीकरण की प्रतिबद्धता का साक्ष्य हैं।

बीईएल परिसर में हरियाली

जलवायु अनुकूल कृषि हेतु प्रौद्योगिकी:

उन्नत व सटीक कृषि को सक्षम बनाने के लिए सेंसर आधारित प्रणालियों में अनुसंधान और विकास का मार्ग प्रशस्त करने के लिए आईसीएआर-आईआईएचआर और बीईएल के बीच सहयोग किया गया है। अत्याधुनिक सेंसर और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करते हुए इस परियोजना का उद्देश्य संसाधन उपयोग का इष्टतम उपयोग करना, फसल की निगरानी करना और समग्र कृषि प्रबंधन में सुधार करना है।

आईसीएआर-आईआईएचआर और बीईएल दोनों को उम्मीद है कि इस सहयोग के परिणाम किसानों को बहुत लाभान्वित करेंगे, खाद्य उत्पादन बढ़ाएंगे और कृषि क्षेत्र के सतत विकास में योगदान देंगे।

अपशिष्ट पदार्थ का जैव मेथेनेशन:

हमने अपशिष्ट पदार्थ के उचित प्रबंधन के लिए स्रोत पृथक्करण प्रणाली स्थापित की है। कॉलोनी के जैविक रूप से बायोडिग्रेडेबल भोजन और कॉलोनी के हरे कचरे को परिवर्तित करने के लिए हमारे पास 1.0 टन जैविक अपशिष्ट परिवर्तक है। इस प्रकार उत्पन्न खाद का उपयोग हमारे एस्टेट में बागवानी अनुप्रयोग के लिए किया जाता है। हरे कचरे से प्राकृतिक रूप से वानस्पतिक खाद बनाई जाती है और हरे कचरे की मात्रा को कम करने के लिए एक लीफ श्रेडर का उपयोग किया जाता है। कैंटीन के खाद्य कचरे को 2 टन के बायो-मेथेनेशन संयंत्र में संसाधित किया जाता है ताकि खाना पकाने के लिए बायोगैस पैदा हो जिससे ~ 50 एससीएम पीएनजी की बचत होती है। बेंगलुरु में ठोस अपशिष्ट उपचार सुविधा में जमीन में गाड़ने वाले कचरे को संसाधित किया जाता है।

Biogas Plant
Organic Waste Converter

पुरस्कार और सम्मान:

हमारे प्रतिबद्ध पर्यावरण हितैषी कार्यों की सराहना करते हुए बीईएल, बेंगलूरु परिसर को निम्नलिखित पुरस्कार प्रदान किए गए हैं

  • कर्नाटक सरकार का कर्नाटक परिसर प्रशस्ति पुरस्कार-1999
  • सर्वश्रेष्ठ पर्यावरणीय एवं पारिस्थितिकी कार्यान्वयन हेतु मदर टेरेसा स्मृति राष्ट्रीय पुरस्कार-2003
  • विश्व पर्यावरण फाउंडेशन द्वारा स्वर्ण मयूर पर्यावरण प्रबंधन पुरस्कार-2004
  • ऊर्जा संरक्षण के लिए कर्नाटक राज्य पुरस्कार-सामान्य वर्ग में प्रथम स्थान -2006
  • भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा एक्सिलेंट वाटर एफ़िसिएंट यूनिट पुरस्कार-2010 और वाटर एफ़िसिएंट यूनिट (चाहरदीवारी से बाहर) पुरस्कार-2010
  • सामान्य श्रेणी वर्ग में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार-2011
  • राज्य ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार-2011
  • सरकारी क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ वीएलएसआई/ एम्बेडेड डिजाइन के लिए मेंटर ग्राफिक्स सिलिकॉन इंडिया लीडरशिप पुरस्कार-2015
  • इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण क्षेत्र के लिए डन एंड ब्रैडस्ट्रीट ‘भारत का शीर्ष पीएसयू पुरस्कार’-2016
  • एसोचैम रेस्पोन्सिबल ऑर्गेनिजेशन एक्सिलेन्स अवार्ड -2016
  • गुणवत्ता के लिए एल्सिना-ईएफए पुरस्कार (वृहद श्रेणी में प्रथम पुरस्कार) और निर्यात के लिए (वृहद श्रेणी में दूसरा पुरस्कार)।
  • दैनिक भास्कर इंडिया प्राइड पुरस्कार

  • ग्रीनटेक ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार-2021