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कम्पोजिट संचार प्रणाली मार्क II


कम्पोजिट संचार प्रणाली मार्क II

Product category :रक्षा संचार उत्पाद

Composite Communcations CCS Mk II

मिश्रित संचार प्रणाली (CCS) मार्क II एक एकीकृत संचार प्रणाली है जिसका अभिकल्प नौसैनिक पोतों पर बाहरी व आंतरिक संचार सुविधाएं उपलब्ध करने हेतु तैयार किया गया है । इससे समस्त रेडियो उपस्करों व दूरस्थ नियंत्रण यूनिटों को एक मिश्रित प्रणाली के रूप मे एकीकृत करके, विभिन्न दूरस्थ उपयोक्ताओं को बाहरी संचार सुविधाएं प्राप्त होती है । इससे आधुनिक युद्धपोतों पर MF, HF, VHF और UHF बैंडों पर त्वरित और विश्वसनीय संचार उपलब्ध कराया जाता है । प्रणाली उच्च श्रेणी को नम्यता रखती है तथा सभी प्रकार के जलपोतों व पनडुब्बियों के साथ संरूपित की जा सकती है । CCS पोत से पोत, पोत से समुद्र, तथा पोत से वायु रेडियो संचार का नौसैनिक पोतों पर सपोर्ट करता है ।
प्रणाली मे शामिल है

MF उप प्रणाली

  • तार (टेलीग्राफी) संचार
  • सामुद्रिक संकट आवृत्ति

HF उप प्रणाली

  • आवाज, टेलीग्रफी एवं टेलीटाइप (पोत से समुद् व पोत से पोत) में दीर्घ-परास संचार
  • प्रसारित ट्रांसमिशन की प्राप्ति

VHF / UHF उप प्रणाली

  • आवाज टेलीग्रफी एवं टेलीटाइप (पोत से समुद्र व पोत से वायु) में. मध्यम परास संचार

RATT उप प्रणाली

  • किसी पोत से रेडियो अथवा भूमि / समुद्री लाइन के माध्यम से टेलीप्रिंटर व टेलीग्राफिक संचार सुविधाएं

नियंत्रण एवं अनुवीक्षण उप प्रणालियॉ (CMS)

  • उप प्रणाली जो नियंत्रणो के आपस में जोड़ती और समग्र नेटवर्क का अनुवीक्षण करती है
  • दूरस्थ अवस्थाओं से सुविधाओं का अधिकतम उपयोग करते हुए रेडियो प्रचालन की सुविधा देती है

CMS के विभिन्न नियंत्रण और प्रचालन

  • दूरस्थ रेडियो प्रचालन
  • इंटरकॉम प्रचालन
  • रेडियो ग्रुप कार्य
  • पर्य वेक्षकीय प्रचालन
  • BITE / स्वास्थ्य संकेत

विशिष्टताएं

  • स्थानीय क्षेत्र नेटवर्किंग सिद्धांत लागू करके स्विचिंग हार्डवेयर वितरण
  • दूरस्थ अवस्थाओं मे बहु प्रकारीय कार्य नियंत्रण यूनिटें वोधगम्य टर्मिनल यूनिटे (ITU) कहलाती है
  • नोडल हार्डवेयर यूनिटें संकेन्द्रक कहलाती है, जो नम्य और क्षेत्र के अनुरूप संरूपणीय है ताकि इनसे कोई भी रेडियो उपस्कर अथवा वोधगम्य टर्मिनल यूनिटें जोडी जा सकें
  • रेडियो उपस्कर के ग्रुप अथवा ITU से उद्भूत किसी श्रव्य सिग्नल और स्थिति / नियंत्रण लाइनें संकेन्द्रक मे सांद्रित की जाती है
  • प्रत्येक संकेन्द्रक के साथ अधिकतम 16 उपस्कर (ट्रांसमीटर – संयोजन, रिसीवर और ITUs / 8 ITUs का संयोजन) जोडे जा सकते है
  • दुरस्थ उपयोक्ताओं को संचार परिपथों का आवंटन, केन्द्रीय CCT (संचार नियंत्रण टर्मिनल) से एक पर्यवेक्षक द्वारा किया जाता है ।

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