श्री मनोज जैन ने 20 जून, 2024 को नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक का पदभार ग्रहण किया। वे 26 सितंबर, 2022 से निदेशक (आर एंड डी) थे और 1 अगस्त, 2023 से उन्हें निदेशक (बेंगलूर कॉम्पलेक्स) का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था।
श्री मनोज जैन को 1 नवंबर, 2022 से 31 मई, 2023 तक निदेशक (मानव संसाधन) का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था। निदेशक (आर एंड डी) के रूप में पदोन्नति से पहले वे बीईएल के बेंगलूर कॉम्पलेक्स में इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर एंड एवियोनिक्स एसबीयू के महाप्रबंधक थे।
श्री मनोज जैन ने आरईसी जयपुर (एमएनआईटी) से स्वर्ण पदक के साथ बीई (इलेक्ट्रॉनिक्स) पूरा करने के बाद अगस्त 1991 में परिवीक्षाधीन अभियंता के रूप में बीईएल में कार्यग्रहण किया था। तीन दशकों से अधिक के अपने अनुकरणीय करियर में, उन्होंने अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
बीईएल की कोटद्वार यूनिट में डी एंड ई में अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान, श्री मनोज जैन ने डिजिटल मल्टीप्लेक्सर, क्रॉस कनेक्ट्स, सीडीओटी एक्सचेंज और सैन्य स्विच के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1999 में, उन्हें बेंगलूरु में बीईएल की केंद्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला में स्थानांतरित किया गया जहां वे रक्षा नेटवर्क और नेटवर्क तथा बल्क सिक्योरिटी सॉल्यूशंस के लिए तकनीकों के विकास कार्य में संबद्ध रहे। रेडार के क्षेत्र में, जो बीईएल का प्रमुख कारोबार है, वे एफपीजीए का उपयोग करते हुए VeXT, स्कैन कन्वर्टर और डिस्प्ले के विकास में शामिल थे।
श्री मनोज जैन ने दिसंबर 2017 से मई 2019 तक सीआरएल-बेंगलूर के मुख्य वैज्ञानिक के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की और सभी तकनीकी क्षेत्रों में तकनीकी विकास की निगरानी की। उन्होंने जून 2019 में बीईएल के उत्पाद विकास एवं नवाचार केंद्र (पीडी एंड आईसी) के महाप्रबंधक के रूप में पदभार ग्रहण किया। यहां उनके दो वर्षों के कार्यकाल के दौरान, पीडी एंड आईसी ने बीईएल के लिए आवश्यक कई नए उत्पाद/उप-प्रणाली विकसित किए जिनसे नवाचार और मूल्य वर्धन सुनिश्चित हुआ और आत्मनिर्भरता प्राप्त हुई।
श्री मनोज जैन ने जून 2021 में बीईएल-बेंगलूर के इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर एंड एवियॉनिक्स एसबीयू के महाप्रबंधक और प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण किया। एसबीयू के सभी कारोबारी प्रचालनों की निगरानी करने के अलावा, उन्होंने इस कारोबारी खंड के लिए अत्यावश्यक दूरदृष्टि प्रदान की।
श्री मनोज जैन ने आर एंड डी के विभिन्न पुरस्कार, प्रमुख योगदानकर्ता पुरस्कार, रक्षा मंत्री के पुरस्कार और सोडेट पुरस्कार प्राप्त किए हैं। उन्होंने अनेक तकनीकी पत्र प्रकाशित किए हैं, अनेक पेटेंट के लिए आवेदन किया है और रक्षा प्रयोक्ताओं और डीआरडीओ को व्याख्यान दिया है।
श्री भानु प्रकाश श्रीवास्तव ने 20 अप्रैल, 2022 को बीईएल के निदेशक (अन्य यूनिटें) का कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने 1 नवंबर, 2022 से 19 जून, 2024 तक अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त प्रभार धारित किया। मंडल में इस पदोन्नति से पहले वे बीईएल के बेंगलूरु कॉमप्लेक्स में उन्नत रक्षा प्रणाली – नौसेना (एडीएसएन) के महाप्रबंधक थे।
श्री भानु प्रकाश श्रीवास्तव आईआईटी-बीएचयू से प्रौद्योगिकी स्नातक (मेकेनिकल इंजीनियरी) और व्यवसाय प्रशासन (विपणन) में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त हैं। उन्होंने अगस्त 1986 में बीईएल में कार्यग्रहण किया था और बीईएल की तीन यूनिटों (कोटद्वार, गाज़ियाबाद और बेंगलूरु) में अपने 36 वर्षों के लंबे करियर में, विनिर्माण, परियोजना प्रबंधन, गुणता प्रबंधन, सामग्री प्रबंधन, डिज़ाइन व विकास तता उत्पाद सहायता जैसे विविध क्षेत्रों में गहन अनुभव प्राप्त किया। वे बीईएल के न्यूयॉर्क स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में 3 वर्षों तक पदस्थ थे जहां उन्हें अंतर्राष्ट्रीय कारोबार का अच्छा अनुभव प्राप्त हुआ।
बीईएल में विभिन्न वरिष्ठ प्रबंधन के पदों पर कार्य करते हुए श्री श्रीवास्तव ने रेडियो और डेटा उपकरण, मिलिट्री तथा दूरसंचार स्विचिंग उपकरण, सिविल तथा सैन्य अनुप्रयोगों के लिए सी4आई प्रणालियों, थलसेना, वायुसेना और नौसेना के रेडार, सोनार, नौसेना के लिए फायर कंट्रोल प्रणालियां तथा संचार प्रणालियां तथा नौसैनिक जहाजों के लिए सतह से हवाई मिसाइलों के क्षेत्रों में स्थायी कारोबारी विकास तथा लाभप्रदता के लिए प्रमुख योगदान दिया।
श्री दामोदर भट्ट एस11 जनवरी, 2023 से नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के निदेशक (वित्त) के रूप में पदभार ग्रहण किया। वह अपनी पदोन्नति से पहले बीईएल के कॉर्पोरेट कार्यालय में महाप्रबंधक (वित्त) के रूप में कार्यरत थे।
श्री दामोदर भट्टड एक चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं, जिन्होंने आईसीएआई की अंतिम परीक्षा में अखिल भारतीय रैंक हासिल की थी। मद्रास विश्वविद्यालय से बी.कॉम स्नातक, उन्होंने 1988 में बीईएल की चेन्नई इकाई में लेखा अधिकारी के रूप में प्रवेश लिया और 34 वर्षों से अधिक के करियर में, विभिन्न भूमिकाओं और क्षमताओं में कंपनी की सेवा की।
बीईएल कॉर्पोरेट कार्यालय में वित्त प्रमुख के रूप में, उन्होंने कंपनी की विभिन्न नीतियों और प्रक्रियाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बीईएल को अब तक का सर्वाधिक रु. का टर्नओवर दर्ज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। FY22 में 15,044 Cr और रुपये से अधिक की ऑर्डर बुक प्राप्त करना। 50,000 करोड़।
फंड के प्रमुख के रूप में, उन्होंने कार्यशील पूंजी का कुशलतापूर्वक प्रबंधन किया और यह सुनिश्चित किया कि बीईएल ऋण मुक्त रहे। उन्होंने और उनकी टीम ने पिछले दो वर्षों (वित्त वर्ष 2021 और 2022) में व्यापार प्राप्तियों के कुशल संग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने म्युचुअल फंड में सरप्लस फंड का निवेश भी शुरू किया, जिससे ट्रेजरी मैनेजमेंट से कंपनी का रिटर्न बढ़ा।
श्री दामोदर भट्टड ने यह सुनिश्चित किया है कि बीईएल में पर्याप्त आंतरिक वित्तीय नियंत्रण स्थापित किए गए हैं और कंपनी का जोखिम नियंत्रण मैट्रिक्स वर्तमान और अद्यतन है। वह विभिन्न प्रबंधन समितियों – प्रबंधन लेखा परीक्षा समिति, कॉर्पोरेट जोखिम प्रबंधन समिति, सीएसआर स्क्रीनिंग समिति और लेखा परीक्षा समिति और पूंजी निवेश समिति के आमंत्रित सदस्य रहे हैं, और वित्त से बीईएल प्रबंधन को मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करने में सक्षम रहे हैं। परिप्रेक्ष्य।
श्री दामोदर भट्टड प्रमुख सलाहकार फर्म के साथ रक्षा प्रमुख द्वारा हस्ताक्षरित एक रणनीतिक सलाहकार सेवा अनुबंध के संबंध में बीईएल के लिए एक व्यवसाय-सह-विकास योजना तैयार करने के लिए प्रमुख सदस्य (वित्त) थे। वे विभिन्न विश्लेषकों/निवेशक सम्मेलनों में बीईएल प्रबंधन टीम के अभिन्न अंग रहे हैं। उन्होंने 2021-22 में अपनी पहली एकीकृत वार्षिक रिपोर्ट लाने के लिए पारंपरिक वित्तीय रिपोर्टिंग से अधिक समग्र दृष्टिकोण तक छलांग लगाने में बीईएल में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। उनका विश्वास है और उन पहलों का समर्थन करता है जो उच्च लाभांश भुगतान और भंडार के पूंजीकरण के मामले में शेयरधारकों के लिए बीईएल के मूल्य को बढ़ाते हैं।
बीईएल के पेंशन ट्रस्ट और ग्रेच्युटी ट्रस्ट के एक सदस्य और वित्त प्रतिनिधि के रूप में, श्री दामोदर भट्टड ने यह सुनिश्चित किया है कि जोखिम को कम करने और रिटर्न को अधिकतम करने के लिए ट्रस्ट पोर्टफोलियो को उपयुक्त रूप से विविध किया जाए। इससे पहले, वित्त प्रमुख (संचालन) के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने ग्राहकों के साथ अनुबंधों को अंतिम रूप देने और प्रमुख उपकरणों और प्रणालियों की बिक्री मूल्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बीईएल की मूल्य वार्ता समिति के सदस्य के रूप में, उन्होंने आपूर्तिकर्ताओं से महत्वपूर्ण मूल्य कटौती प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका मानना है कि सामाजिक रूप से जिम्मेदार कॉर्पोरेट नागरिक होने के नाते बीईएल को अपने सभी हितधारकों के लिए अपने मूल्य को अधिकतम करना चाहिए।
श्री विक्रमन एन ने दिनांक 1 जून, 2023 को नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के निदेशक (मानव संसाधन) का पदभार ग्रहण किया। मंडल में पदोन्नत होने से पहले वे बीईएल की गाज़ियाबाद यूनिट में कार्यपालक निदेशक (रेडार) और यूनिट प्रमुख के पद पर कार्यरत थे।
श्री विक्रमन को मानव संसाधन के विभिन्न क्षेत्रों तथा रेडार और मिसाइल प्रणालियों से संबंधित विविध कार्यों जैसे परीक्षण, विपणन और ग्राहक समर्थन में 35 वर्षों का दीर्घ और समृद्ध अनुभव है। वे इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में इंजीनियरी डिग्री (ऑनर्स) और मानव संसाधन प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा धारक हैं। वे ‘नवाचार’ के लिए प्रतिष्ठित रक्षा मंत्री पुरस्कार के विजेता हैं। वे प्रोजेक्ट मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, यूएसए से प्रमाणित परियोजना प्रबंधन पेशेवर भी हैं।
ई.डी. (रेडार) एवं यूनिट प्रमुख, बीईएल-गाज़ियाबाद के रूप में उन्होंने बीईएल की दूसरी सबसे बड़ी यूनिट को उसके अब तक के सर्वोच्च कारोबार और लाभप्रदता के स्तर तक पहुंचाया जिसके फलस्वरूप उन्हें बीईएल की वार्षिक रोल-ऑन- प्लान कारोबारी बैठक में ‘एचीवर’ का पुरस्कार प्रदान किया गया।
श्री विक्रमन ने बीईएल के मानव संसाधन कार्य को रणनीतिक प्रतिस्पर्धात्मकता प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। बीईएल के कार्पोरेट कार्यालय में महाप्रबंधक (मानव संसाधन) के अपने पूर्व कार्यकाल के दौरान, श्री विक्रमन एच.आर. नीतियों और रणनीतियों को बीईएल की कारोबारी आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के लिए जिम्मेदार रहे। उन्होंने जनशक्ति योजना, कार्य-निष्पादन प्रबंधन, प्रशिक्षण और विकास, सक्षमता विकास, कौशल विकास आदि जैसे क्षेत्रों में नई प्रणालियां और प्रक्रियाएं स्थापित की। कार्य-निष्पादन मानक निर्धारित करने और करियर प्रगति के लिए वे अधिक न्यायसंगत विधि बनाने के लिए विभिन्न सक्षमताओं का व्यापक ढांचा शुरु करने के लिए उत्तरदायी थे। उनके नेतृत्व में, बीईएल ने पीपल कैपेबिलिटी मैच्युरिटी मॉडल (स्तर 3) का प्रमाण-पत्र प्राप्त किया।
श्री विक्रमन ने बीईएल उत्कृष्टता अकादमी की स्थापना करते हुए और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों के शिक्षा जगत में साझेदारी बढ़ाने के लिए कंपनी में ज्ञानार्जन के अनुकूल परिवेश को संवर्धित किया। मानव संसाधन के क्षेत्र में बीईएल को दिए गए उनके कुछ अन्य प्रमुख योगदान में प्रतिभा प्रबंधन के लिए ई.आर.पी. आधारित ज्ञानार्जन प्रबंधन प्रणाली स्थापित करना, विभिन्न कार्य भूमिकाओं के लिए आवश्यक सक्षमता तैयार करने के लिए मिश्रित ई-लर्निंग प्लेटफार्म शुरु करना शामिल हैं। वैश्विक महामारी में कार्यबल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने मानव संसाधन की प्रमुख प्रक्रियाओं में परिवर्तन लागू किए और कारोबार की निरंतरता सुनिश्चित किया।
बीईएल की मिसाइल सिस्टम एसबीयू में अपने पिछले कार्यकाल में, श्री विक्रमन ने सिस्टम एकीकरण परियोजनाओं पर कार्य करने के लिए अपनी में अंतर-विषयक सक्षमताएं विकसित की। उन्होंने रेडार निर्माता की भूमिका में परिवर्तन कर उसे शस्त्र प्रणाली एकीकरणकर्ता बनाने के लिए संगठन के लिए आवश्यक परिवर्तन की संस्कृति का पोषण किया। परीक्षण, विपणन और ग्राहक समर्थन प्रमुख होते हुए, मिसाइल सिस्टम एसबीयू ने लगातार चार वर्षों तक रु. 1,000 करोड़ का रिकार्ड कुल कारोबार हासिल किया। श्री विक्रमन ने प्रतिष्ठित आकाश परियोजना में शामिल 100 से अधिक प्रमुख भागीदारों के साथ कार्य किया और देश की पहली स्वदेशी मिसाइल प्रणाली का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा किया।
श्री कइगा वेंकट सुरेश कुमार ने 16 जून, 2023 को नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के निदेशक (विपणन) पद का कार्यभार ग्रहण किया। इससे पहले वे बेंगलूरु में स्थित बीईएल के उत्पाद विकास व नवोन्मेष केंद्र (पीडी एंड आईसी) में महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत थे।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार इंजीनियरी में स्नातकोत्तर श्री सुरेश कुमार ने परिवीक्षाधीन इंजीनियर के रूप में मई 1989 में बीईएल में कार्यग्रहण किया था। एक सफल इंजीनियर के रूप में उन्होंने बीईएल की अनेक यूनिटों में अनेक प्रौद्योगिकियों पर काम किया और बीईएल के मुख्य स्वदेशीकरण अधिकारी सहित अनेक प्रमुख कार्पोरेट पदों पर कार्य किया। अपने 34 वर्षों के सफल करियर में उन्होंने प्रमुख ग्राहक खंडों में व्यवहार करते हुए प्रौद्योगिकी के विविध क्षेत्रों में गहन अनुभव अर्जित किया और आर एंड डी के माध्यम से कारोबारी विकास करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
श्री सुरेश कुमार प्रतिष्ठित रक्षा मंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार प्राप्तकर्ता हैं। उनकी सक्षम देखरेख में, उनकी टीमों द्वारा अनेक पेटेंट / कॉपी राइट बनाए गए हैं।
उन्होंने उत्पाद विकास के जीवन-चक्र के सभी चरणों में काम किया है जिसमें परिकल्पना, डिज़ाइन, विकास, अर्हता, संस्थापना और कार्यारंभ, फील्ड परीक्षण और सिस्टम प्रवेश शामिल हैं। उन्हें अंतिम प्रयोक्ता की ज़रूरतों / अपेक्षाओं और उन्हें पूरा करने के साधनों की गहन जानकारी और समझ है।
महाप्रबंधक (पीडी एंड आईसी) के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संपूर्ण बीईएल में प्रयुक्त व्यवसाय के 16 खंडों में प्रौद्योगिकी मॉड्यूल का संस्थागत विकास करने के लिए 500 इंजीनियरों की टीम का मार्गदर्शन किया। उन्होंने पीडी एंड आईसी में आई.पी. सृजन और कौशल वर्धन की भी पहल की। इस उत्तरदायित्व से पहले, श्री सुरेश कुमार बीईएल कार्पोरेट कार्यालय में महाप्रबंधक (प्रौद्योगिकी योजना) के पद पर थे जहां उन्होंने कंपनी भर में सभी आर एंड डी कार्यकलापों की योजना और निष्पादन का नेतृत्व किया जिसके कारण बड़ी संख्या में आर एंड डी परियोजनाएं शुरु की गईं जिनका सफलतापूर्वक वाणिज्यीकरण किया गया।
वर्ष 2017-2019 की अवधि के दौरान उनके प्रयासों और योगदान से भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान में अत्यधिक जटिल और अत्याधुनिक एयरबोर्न ई.डबल्यू. प्रणाली शामिल की गई जिसके परिणामस्वरूप रु. 3,000 करोड़ मूल्य के आदेश प्राप्त हुए।
श्री सुरेश कुमार ने बीईएल द्वारा प्राप्त एकल और सबसे बड़े निर्यात आदेश – ई.डबल्यू. सुइट की आपूर्ति के लिए एयरबस के 90 मिलियन यूएसडी से अधिक के निर्यात आदेश को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने नए उत्पादों को भी प्रारंभ किया और लगभग रु. 4,000 करोड़ मूल्य के भावी कारोबारी अवसरों को तैयार किया।
वर्ष 2014 और 2017 के बीच, उन्होंने भारतीय थलसेना और अर्धसैनिक बलों में बड़ी संख्या में इलेक्ट्रो- ऑप्टिक उत्पादों / प्रणालियों का विकास करने और उन्हें शामिल करने वाली टीमों का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया जिसके कारण बीईएल को लगभग रु. 5,000 करोड़ का कारोबार मिला। उन्होंने आक्रामक ढंग से स्वदेशीकरण के प्रयास किए और लगभग रु. 300 करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत की।
वर्ष 2014 से पहले उन्होंने भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों और विमानों के लिए अनेक ई.डबल्यू. प्रणालियों का विकास किया और सेना में शामिल किया। इसी अवधि के दौरान किए गए उनके प्रयासों से भारत में दुनिया का सबसे बड़ा ई.डबल्यू. परीक्षण रेंज स्थापित करने के लिए नामांकन आधार पर भारतीय वायुसेना से लगभग रु. 1,000 करोड़ के आदेश प्राप्त हुए।
वर्ष 2021 से, वे बीईएल के मुख्य स्वदेशीकरण अधिकारी के रूप में कार्य करते आ रहे हैं और उन्होंने सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनके इन स्वदेशीकरण प्रयासों के माध्यम से बीईएल को पिछले दो वर्षों में रु. 1,000 करोड़ रु. की विदेशी मुद्रा की बचत हुई। कंपनी ने भी रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी सकारात्मक स्वदेशीकरण की सूची में 100 से अधिक उत्पादों का योगदान दिया। इनमें से ज्यादातर उत्पाद मेक II मार्ग द्वारा विकासाधीन हैं।
श्री रजनीश शर्मा ने नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के निदेशक (बेंगलूर कॉमप्लेक्स) का कार्यभार संभाला। इस पदोन्नति से पहले वे बीईएल के सैन्य रेडार एसबीयू के महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत थे।
श्री रजनीश शर्मा ने 1989 में दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1990 में बीईएल में कार्यग्रहण किया। 33 वर्षों से अधिक के लंबे करियर में, उन्होंने बीईएल की विभिन्न यूनिटों और रणनीतिक कारोबारी यूनिटों (एसबीयू) में काम किया उन्हें रेडार सिस्टम, सेक्योर कम्यूनिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक युद्धपद्धति और वैमानिकी, नौसैनिक मिसाइल सिस्टम आदि जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में विविधतापूर्ण अनुभव प्राप्त है।
उन्होंने एलआरसैम सहित बीईएल की कुछ सबसे बड़ी प्रणालियों के कार्य-निष्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे उनका अनुभव समृद्ध हुआ और उन्हें संगठनात्मक व्यवसायों, चुनौतियों, जन, टीमों, विविध संस्कृतियों आदि के बारे में समग्र दृष्टिकोण प्राप्त हुआ।
ऐसी भूमिकाओं और चुनौतियों को स्वीकार करते हुए, उन्होंने प्रमाणित परियोजना प्रबंधन पेशेवर, गुणता और संगठनात्मक उत्कृष्टता के प्रमाणित प्रबंधक, सिक्स सिग्मा, सीआईआई कारोबारी उत्कृष्टता मूल्यांकनकर्ता आदि जैसी व्यावसायिक दक्षताएं भी अर्जित की। इस ज्ञानार्जन ने उन्हें थालेस-फ्रांस, सेलेक्स-इटली, एचएसए-हॉलैंड, आरएसी-रूस और आईएआई-इज़राइल जैसी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के साथ प्रमुख परियोजनाओं को सफलतापूर्वक निष्पादित करने में सक्षम बनाया।
इसके अलावा, सीएबीएस के साथ एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एवं कंट्रोल सिस्टम, फ्लाईकैचर, वेपन लोकेटिंग रेडार, रिपोर्टर रेडार, रेवती और रोहिणी रेडार जैसी परियोजनाओं में एलआरडीई के साथ सक्रिय भागीदारी ने श्री रजनीश शर्मा को विभिन्न प्रकार की व्यावसायिक और उत्पादन प्रक्रियाओं में अपने कौशल को निखारने में मदद की जो किसी भी कारोबारी संस्था की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
उनकी बहुमुखी प्रतिभा, सजग स्वभाव और प्रौद्योगिकी भागीदारों के साथ घनिष्ठ संबंध ने श्री रजनीश शर्मा को अपने ज्ञानार्जन को आत्मसात करने और प्रौद्योगिकी को परिपक्व और मजबूत प्रक्रियाओं में बदलने की क्षमता दी जिससे सर्वश्रेष्ठ उत्पाद तैयार होते हैं। उनकी प्रक्रिया-उन्मुख और दृढ़ निश्चयी, कभी हार न मानने वाली प्रवृत्ति ने उन्हें कठिन लक्ष्यों को समय पर हासिल करने में मदद की।
श्री राजीव प्रकाश (डीआईएन-08590061) संयुक्त सचिव (नौसेना प्रणाली), रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार हैं।
श्री राजीव प्रकाश ने सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में बी. ए. ऑनर्स और इरास्मस विश्वविद्यालय के सामाजिक अध्ययन संस्थान से विकास अध्ययन में एम. ए. किया है। इसके अलावा, वे वर्ष 1995 बैच के भारतीय डाक एवं दूरसंचार लेखा और वित्त सेवा अधिकारी (आईपी एंड टीएएफएस) हैं।
श्री राजीव प्रकाश को वित्त क्षेत्र का व्यापक अनुभव है और वे भारत सरकार में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। जून 2022 में रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार में संयुक्त सचिव (नौसेना प्रणाली) का पदभार ग्रहण करने से पहले, उन्होंने दूरसंचार विभाग, संचार मंत्रालय में उप महानिदेशक (वायरलेस योजना और वित्त) के पद पर कार्य किया है।
डॉ बी के दास उत्कृष्ट वैज्ञानिक और महानिदेशक (इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार प्रणाली) हैं। 29 अप्रैल, 2022 को डीजी (ईसीएस) के रूप में पदभार ग्रहण करने से पहले, वह 2015 से 2020 तक आईटीआर के निदेशक और फिर आईआरडीई के निदेशक थे। बीच में उन्होंने डील के निदेशक के रूप में अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाली।
वह 33 वर्षों तक भारतीय मिसाइल कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग रहे और विभिन्न अत्याधुनिक मिसाइल प्रणालियों के परीक्षण और मूल्यांकन के लिए अथक रूप से काम किया। उन्होंने टेस्ट रेंज और इंस्ट्रूमेंटेड टेस्ट रेंज का नेतृत्व किया, जो दुनिया में सबसे अच्छा और व्यस्ततम बन गया। उन्होंने स्वदेशी टेस्ट सिस्टम की पूरी क्षमता रखने के लिए देश के लिए टेस्ट रेंज टेक्नोलॉजी को बदल दिया है। ईओटीएस, रडार सिस्टम, लॉन्ग रेंज टेलीमेट्री सिस्टम, फेज्ड ऐरे और ड्रोन आधारित टेलीमेट्री सिस्टम, टेलीकमांड सिस्टम और मल्टीटार्गेट ट्रैकिंग सिस्टम की संख्या के साथ-साथ मिशन प्रबंधन के लिए स्वचालित प्रणाली बनाने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं और सिस्टम सॉफ्टवेयर का स्वदेशी विकास उनके कुशल नेतृत्व में हासिल किया गया है।
IRDE में, उनके नेतृत्व में, 21 अत्याधुनिक उत्पादों को 2021 में साकार किया जा सकता है – इलेक्ट्रो-ऑप्टिक मास्ट, LEOP, CAMOP, AGMS और कई अन्य प्रणालियाँ। इस अवधि के दौरान, उन्होंने इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सिस्टम के लिए विभिन्न बुनियादी ढांचे और अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाओं का निर्माण किया।
उन्होंने दोनों प्रयोगशालाओं में राष्ट्रीय महत्व की विभिन्न परियोजनाओं का नेतृत्व किया है और इन दोनों प्रयोगशालाओं के लिए दृष्टि को परिभाषित किया है। उनके गतिशील नेतृत्व में, इन दोनों प्रयोगशालाओं ने अंतर्राष्ट्रीय महत्व के 22 उत्पादों को साकार करने के लिए 2022 का लक्ष्य निर्धारित किया है।
उन्होंने बी.टेक. बुर्ला इंजीनियरिंग कॉलेज, ओडिशा से और एम.टेक। और पीएच.डी. आईआईटी, खड़गपुर से। डॉ दास बेस्ट ग्रेजुएट गोल्ड मेडल के धारक और IIT के टॉपर हैं। उनकी पीएच.डी. थीसिस को यूएसए द्वारा सर्वश्रेष्ठ थीसिस से सम्मानित किया गया था। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं और सम्मेलनों में उनके 100 से अधिक प्रकाशन हैं।
उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उनमें से कुछ हैं:
2008 के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में देश के युवा नेता के रूप में लक्ष्मीपत सिंघानिया-आईआईएम, लखनऊ राष्ट्रीय नेतृत्व पुरस्कार।
1997-98 के लिए इमेज प्रोसेसिंग और इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स में तकनीकी विकास के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास निगम (NRDC) द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार।
1999 के लिए इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स और इमेज प्रोसेसिंग में योगदान के लिए इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (INAE) द्वारा युवा इंजीनियर राष्ट्रीय पुरस्कार और पदक।
समानांतर और वितरित कंप्यूटिंग और सिस्टम, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), कैम्ब्रिज पर 16वें आईएएसटीईडी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में 30 देशों के 300 प्रस्तुतकर्ताओं के बीच सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति।
छवि प्रसंस्करण में उत्कृष्ट योगदान के लिए उड़ीसा विज्ञान अकादमी द्वारा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार।
इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2003 का वैज्ञानिक पुरस्कार।
2006-07 के लिए वायु रक्षा प्रणालियों के लिए टीम के सदस्य के रूप में अग्रणी अनुसंधान के लिए पुरस्कार।
2007-08 के लिए टीम के सदस्य के रूप में अग्रणी शोध के लिए पुरस्कार।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 1996 में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति पुरस्कार।
2003 के लिए इमेज प्रोसेसिंग और इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स में उत्कृष्ट योगदान के लिए लैब साइंटिस्ट ऑफ द ईयर अवार्ड।
2004 में वीएलएसआई आधारित विकासात्मक परियोजनाओं के लिए टीम के नेता के रूप में प्रौद्योगिकी समूह पुरस्कार।
2011 के लिए इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम के विकास के लिए टीम के नेता के रूप में प्रौद्योगिकी समूह पुरस्कार।
2004 के लिए टेस्ट रेंज में सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी विकास के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस टाइटेनियम मेडल।
डॉ. पार्थसारथी पी वी, आयु 51 वर्ष, दंत विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री रखते हैं और पार्थ डेंटल केयर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं। लिमिटेड और पार्थ कॉस्मेटोलॉजी प्रा। लिमिटेड, हैदराबाद। वह बाल चिकित्सा दंत चिकित्सा में विशेषज्ञ दंत चिकित्सक हैं और उन्हें इस क्षेत्र में लगभग 15 वर्षों का पेशेवर अनुभव है।
डॉ. संतोष कुमार एन, आयु 58 वर्ष, मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एम.टेक) और डॉक्टरेट (मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी) में डिग्री रखते हैं और इंजीनियरिंग, अनुसंधान और इंजीनियरिंग में लगभग 34 वर्षों का समृद्ध अनुभव रखते हैं। प्रशासन के क्षेत्र। वह प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्त हुए और; 2020 में एनएसएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पलक्कड़, केरल में डीन (यूजी)। वर्तमान में, क्या वह केरल के केंद्रीय विश्वविद्यालय के साथ रजिस्ट्रार के रूप में जुड़े हुए हैं।
श्रीमती श्यामा सिंह, आयु 55 वर्ष, जिनके पास बी.ए. ऑनर्स की डिग्री है। राजनीति विज्ञान, एमए राजनीति विज्ञान, एलएलबी और मास्टर ऑफ फिलॉसफी और गया सिविल कोर्ट में एक वकील के रूप में लगभग छब्बीस (26) वर्षों का समृद्ध अनुभव है। उन्हें कानून और राजनीति विज्ञान का अच्छा ज्ञान है। वह 2001 से 2005 तक गया जिला बोर्ड सदस्य और योजना समिति सदस्य रहीं।
श्री गोकुलन बंगाकांडी, आयु 59 वर्ष, वनस्पति विज्ञान में विज्ञान स्नातक (बीएससी) की डिग्री, कंप्यूटर अनुप्रयोग में डिप्लोमा (डीसीए) और माइक्रोसॉफ्ट प्रमाणित डाटा बेस एडमिनिस्ट्रेटर (एमसीडीबीए) रखते हैं और सॉफ्टवेयर विकास (9 वर्ष) में लगभग 32 वर्षों का समृद्ध अनुभव रखते हैं। नई दिल्ली में और केएसए में 23 साल। उनके पास डेटाबेस डिजाइन, सॉफ्टवेयर डिजाइन, कोडिंग, बैलेंस शीट तैयार करने तक के खाते, विशेष रूप से ईआरपी सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए अच्छा ज्ञान है। उनके पास मोबाइल एप्लिकेशन डेवलपमेंट – एंड्रॉइड / आईफोन में 3 साल का अनुभव भी है। और विभिन्न सॉफ्टवेयर विकसित किए हैं – जैसे ईआरपी समाधान, फैक्ट्री के लिए सॉफ्टवेयर, कार्यशाला, क्लिनिक, पीओएस और अन्य सॉफ्टवेयर।