बेंगलूरु/नई दिल्ली, 24 मार्च, 2023: रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने भारतीय सेना के लिए समेकित इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणालियों की आपूर्ति के लिए नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ रु. 3,000 करोड़ के एक संविदा पर हस्ताक्षर किए हैं। भारतीय सेना के लिए समेकित इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणालियां अत्याधुनिक तकनीकों के साथ अत्याधुनिक हैं, और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला (डीएलआरएल), डीआरडीओ, डिजाइन के आधार पर बीईएल द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित और निर्मित की गई हैं। ये एकीकृत प्रणालियां वास्तविक बल-गुणक होंगी और आगे चलकर भारतीय सेना की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता को बढ़ाएंगी। इसके अलावा, बीईएल को पिछले पखवाड़े के दौरान स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि नियंत्रण, गन फायर कंट्रोल, निगरानी, ट्रैकिंग, ईएसएम, सोनार सिस्टम आदि की आपूर्ति के लिए भारतीय नौसेना से कुल रु. 1,300 करोड़ (लगभग) के कई ठेके भी प्राप्त हुए हैं। रक्षा मंत्रालय ने बीईएल और भारतीय वायु सेना के साथ रक्षा मंत्रालय के ठेकों पर हस्ताक्षर किए हैं। रक्षा मंत्रालय ने पहले ही भारतीय वायु सेना के लिए मीडियम पावर रेडार और डिजिटल रेडार वार्निंग रिसीवर (आरडब्ल्यूआर) की आपूर्ति के लिए बीईएल के साथ रु. 3,800 करोड़ के दो ठेकों पर हस्ताक्षर किया है। भारतीय वायु सेना के लिए मीडियम पावर रेडार (अरुधरा) एक अत्याधुनिक 4डी निगरानी रेडार है जो सॉलिड स्टेट टीआर ट्रांसमिशन मॉड्यूल पर आधारित सक्रिय एपर्सड फेज एरे तकनीकों से सुसज्जित है। यह रेडार इलेक्ट्रॉनिक्स एवं रेडार विकास स्थापना (एलडीआरई), डीआरडीओ, डिजाइन के आधार पर बीईएल द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित और निर्मित किया जा रहा है। उपर्युक्त प्रणाली से अत्याधुनिक ईसीसीएम क्षमताओं सहित आधुनिक रेडार तकनीकों के साथ भारतीय वायु सेना की निगरानी क्षमता में और वृद्धि होगी। भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों के लिए डिजिटल आरडब्ल्यूआर को स्वदेशी रूप से कॉम्बैट एयरक्राफ्ट सिस्टम डेवलपमेंट एंड इंटीग्रेशन सेंटर (सीएएसडीआईसी), डीआरडीओ द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया है। उन्नत ईडब्ल्यू प्रणालियों की आपूर्ति से दुश्मनों के खिलाफ परिचालन मिशन हाथ में लेते समय आईएएफ लड़ाकू विमान की युद्ध-उपयुक्तता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। ये प्रमुख परियोजनाएं बीईएल के नेतृत्व में अन्य सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियों और एमएसएमई को शामिल करते हुए भारतीय रक्षा उद्योग की स्वदेशी डिजाइन और निर्माण क्षमताओं को दर्शाती हैं। ये परियोजनाएं भारत सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' और 'मेक इन इंडिया' पहलों में एक और मील का पत्थर साबित होंगी।