नई दिल्ली, 31 अगस्त, 2021 - भारतीय नौसेना ने हार्ड किट और साफ्ट किट दोनों क्षमताओं से युक्त पहली स्वदेशी, व्यापक नौसैनिक द्रोण-रोधी प्रणाली (एन.ए.डी.एस.) की आपूर्ति के लिए नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ संविदा पर हस्ताक्षर किए।
आज नई दिल्ली में नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों और डीआरडीओ के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में भारतीय नौसेना और बीईएल द्वारा इस संविदा पर हस्ताक्षर किए गए। डीआरडीओ और बीईएल द्वारा द्रोण-रोधी प्रणाली के संयुक्त विकास में भारतीय नौसेना ने निरंतर सहयोग प्रदान किया और प्रमुख भूमिका निभाई।
डीआरडीओ द्वारा विकसित और बीईएल द्वारा निर्मित एन.ए.डी.एस. भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल किए जाने वाली स्वदेशी रूप से विकसित पहली द्रोण-रोधी प्रणाली है। दुश्मनों के द्रोण से होने वाले खतरों से बचने के लिए आत्मनिर्भर भारत की पहल के तहत, पूरी तरह स्वदेशी इस प्रणाली को तैयार करने में बीईएल-बेंगलूरु, हैदराबाद, पुणे और मचिलिपट्टणम यूनिटें और डीआरडीओ की प्रयोगशालाएं, एलआरडीई-बेंगलूरु, डीएलआरएल और सीएचईएसएस, हैदराबाद तथा आईआरडीई-देहरादून ने भारतीय नौसेना के साथ गहन सहयोग किया है।
नौसेना की द्रोण-रोधी प्रणाली माइक्रो द्रोण का तुरंत पता लगा सकती है और उन्हें अवरुद्ध कर सकती है और इसमें लक्ष्यों को खत्म करने के लिए लेज़र आधारित मारक कार्यप्रणाली का उपयोग किया जाता है। एन.ए.डी.एस. नौसेना की रणनीतिक संस्थापनाओं को द्रोण के बढ़ते खतरे को पूरी तरह रोकने में प्रभावी होगी।
एन.ए.डी.एस. को पहले इस वर्ष गणतंत्र दिवस की परेड में सुरक्षा प्रदान करने के लिए और उसके बाद लाल किले में माननीय प्रधान मंत्री के स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान तैनात किया गया था । 360 डिग्री कवरेज देने वाली इस प्रणाली को मोदी-ट्रंप के रोडशो के लिए अहमदाबाद में भी तैनात किया गया था।
नौसैनिक द्रोण-रोधी प्रणाली में माइक्रो द्रोण का पता लगाने और उसे अवरुद्ध करने के लिए रेडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल / इनफ्रारेड (ई.ओ./आई.आर.) सेन्सरों और रेडियो फ्रीक्वेंसी (आर.एफ.) डिटेक्टरों का इस्तेमाल किया जाता है। डीआरडीओ की आर.एफ./ग्लोबल नेवीगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जी.एन.एस.एस.) कंट्रोलर द्वारा प्रयुक्त फ्रीक्वेंसी का पता लगाता है और उसके बाद सिग्नलों को अवरुद्ध कर दिया जाता है। डीआरडीओ की द्रोण-रोधी प्रौद्योगिकी प्रणाली में तेजी से आने वाले हवाई जोखिमों से निपटने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 'साफ्ट किल' और 'हार्ड किल' दोनों विकल्प प्रदान किए गए हैं।
एन.ए.डी.एस. के स्थैतिक और गतिशील दोनों वर्शन की आपूर्ति भारतीय नौसेना को संविदा पर हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद की जाएगी।