बेंगलूरु, 1 सितंबर, 2020: श्री एम वी राजशेखर ने 1 सितंबर, 2020 को नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (बीईएल) के निदेशक (अनुसंधान व विकास) का कार्यग्रहण किया। इस पदोन्नति से पहले वे बीईल के केंद्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला (सीआरएल)-बेंगलूरु में मुख्य वैज्ञानिक और बीईएल के कार्पोरेट कार्यालय में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओ.एस.डी.) थे।
श्री एम वी राजशेखर ने श्री वेंकटेश्वरा यूनिवर्सिटी, तिरुपति से इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार अभियांत्रिकी में बी.टेक करने के बाद 1 फरवरी, 1985 को परिवीक्षाधीन अभियंता के रूप में बीईएल की गाज़ियाबाद यूनिट में कार्य ग्रहण किया था। अपने 35 वर्षों के लंबे करियर में, उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया और बीईएल की विविध प्रौद्योगिकियों में समृद्ध अनुभव अर्जित किया।
बीईएल की गाज़ियाबाद यूनिट में अपने कार्यकाल के दौरान वे स्थैतिक एवं डिज़िटल मोबाइल ट्रोपो-स्कैटर संचार एवं सैटकॉम, रेडार प्रदर्श एवं कमान व कंट्रोल सिस्टम जैसे संचार उत्पादों के परीक्षण में शामिल रहे। वर्ष 2000 में उन्हें हैदराबाद यूनिट भेजा गया जहाँ उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक युद्धपद्धति की विभिन्न प्रणालियों के परीक्षण व कार्यारंभ पर कार्य किया। वर्ष 2004 में उन्हें मछिलिपट्टणम यूनिट भेजा गया।
मछिलिपट्टणम यूनिट में अपने कार्यकाल के दौरान, श्री राज शेखर ने रात्रि दर्शी साधित्र की डिज़ाइन और विकास के लिए योगदान दिया जिसकी गृह मंत्रालय और भारतीय थलसेना को बड़ी मात्रा में आपूर्ति की गई। उन्होंने आई.आर. ऑप्टिक्स में बीईएल के लिए अच्छी डिज़ाइन का आधार तैयार किया और सीआरएल- बेंगलूरु में संकेत प्रसंस्करण विकास की पहल की। आईआरडीई (डीआरडीओ) के सहयोग से अत्याधुनिक व नवीनतम थर्मल इमेजर आधारित साइटों व प्रणालियों के स्वदेशी विकास में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई जिसके कारण कंपनी के कारोबार में उल्लेखनीय प्रगति हुई।
मई 2016 में, उन्हें मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (इलेक्ट्रो ऑप्टिक एवं लेज़र) के पद पर पदोन्नत किया गया। सीटीओ (ईओ एंड एल) के रूप में, उन्होंने बीईएल के उत्पाद विकास एवं नवोन्मेष केंद्र (पीडी एंड आईसी) में इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स एवं लेज़र में अनेक नई परियोजनाओं की पहल की और यूनिट की डी एंड ई और सीआरएल-बेंगलूरु के प्रयासों को गति प्रदान की। भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलूरु और सेंट्रल ग्लास एंड सिरामिक रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीजीसीआरआई) के साथ रणनीतिक सहयोग करते हुए फायबर लेज़र प्रौद्योगिकी के विकास के लिए वे सीआरएल- बेंगलूरु और पीडीआईसी के वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणास्रोत बने।
निदेशक (अनुसंधान व विकास) के रूप में उनकी पदोन्नति से पहले, जून, 2019 में, उन्हें मुख्य वैज्ञानिक के रूप में सीआरएल- बेंगलूरु भेजा गया जहाँ उन्होंने कृत्रिम आसूचना, रोबोटिक्स एवं ड्रोन, सायबर सुरक्षा, क्लाउड एवं डेटा एनालिटिक्स, सामरिक संचार, रेडार सिग्नल एवं डेटा प्रसंस्करण, ईओ एंड एल, स्मार्ट कंप्यूटिंग डिवाइस, एम्बेडेड सिस्टम, नेटवर्किंग डिवाइस और सिस्टम तथा ईडबल्यू एंड अकास्टिक्स के लिए उन्नत सिग्नल प्रोसेसर जैसी विविध प्रौद्योगिकियों पर काम करने वाले लगभग 260 वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व किया।