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आत्मनिर्भर भारत’ की पहल को ध्यान में रखते हुए बीईएल ने एटीडीएस मारीच विनिर्माणी सुविधा अपग्रेड किया

बेंगलूर/ दिल्ली, 10 अगस्त, 2020 – माननीय रक्षा मंत्री, श्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसके माध्यम से उन्नत, अत्याधुनिक मारीच एकीकरण सुविधा का उद्घाटन किया।

श्री गौतम एम वी, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने इस अवसर परमाननीय रक्षा मंत्री को उन्नत टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम (एटीडीएस) मारीच पर एक प्रस्तुति दी। बीईएल कीयह पहल माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदृष्टि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अनुरूप है।

एटीडीएस मारीच पूरी तरह स्वदेशी प्रणाली है जिसमें डीआरडीओ लैब, नौसैनिक भौतिकी एवं समुद्रविज्ञानीप्रयोगशाला (एनपीओएल) और नौसैनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीय प्रयोगशाला (एनएसटीएल) द्वारासंयुक्त रूप से विकसित सेन्सर और डिकॉय हैं और जिनका उत्पादन कार्य बीईएल द्वारा किया गया है।बीईएल द्वारा निर्मित दो उत्पादन श्रेणी की प्रणालियों को आईएनएस गोमती और आईएनएस गंगा परसंस्थापित किया गया और परीक्षण किया गया है। भारतीय नौसेना ने मारीच प्रणाली की आपूर्ति के लिएबीईएल के साथ एक संविदा किया है।

एटीडीएस मारीच प्रस्तुत करने से पहले, भारतीय नौसेना ने 12 प्लेटफार्मों के लिए इस प्रणाली का आयातकिया था। लेकिन अब इस प्रणाली के स्वदेशी विकास से, बीईएल ने प्रत्येक वर्ष 12 एटीडीएस मारीच सिस्टमबनाने और सुपुर्द करने की क्षमता अपनी मौजूदा सुविधाओं को उन्नत किया है। इस सुविधा से बीईएलभारतीय नौसेना के सतही जहाजों के लिए संभावित टारपीडो हमलों के प्रति विश्वसनीय रक्षा तंत्र-प्रणालीप्रदान करने में सक्षम है। उन्नत एटीडीएस सुविधाओं में इलेक्ट्रॉनिक केबिनेट, एक्सपेंडेबल डिकॉय विनिर्माणऔर टाउड ऐरे एकीकरण एवं परीक्षण सुविधा (रैम्प स्ट्रक्चर, ऑयल फिलिंग सुविधा, लोड टेस्ट सुविधा औरन्यूट्रल बायेंसी टैंक सुविधा) के लिए टेस्ट बे शामिल हैं। बीईएल ने लगभग रु. 12 करोड़ की लागत सेएटीडीएस निर्माण के लिए एक नए भवन का निर्माण किया है। स्वदेशी रूप से विकसित मारीच प्रणालीआत्मनिर्भर भारत’ की ओर एक बड़ा कदम है क्योंकि इसकी प्रत्येक प्रणाली से देश को लगभग यूएसडी 4मिलियन की बचत होती है।

फोटो कैप्शन-

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बीईएल की उन्नत, अत्याधुनिक मारीच एकीकरण सुविधा काउद्घाटन करते हुए माननीय रक्षामंत्री, श्री राजनाथ सिंह, ।

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बीईएल ने यादगीर जिले में सरकारी स्कूलों को स्मार्ट क्लास सुविधा से लैस किया

बेंगलूर, 05 अगस्‍त, 2020 – नवरत्‍न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने अपनी सीएसआर पहल के तहत यादगीर जिला, कर्नाटक के 122 सरकारी उच्च विद्यालयों को सौर ऊर्जा से संचालित स्मार्ट क्‍लास सुविधाओं से लैस करते हुए वहां पढ़ रहे लगभग 13,000 बच्चों को कर सशक्त बनाया है। इस परियोजना की कुल लागत रू. 3.84 करोड़ है।

4 अगस्त, 2020 को श्री प्रभु बी चौहान, माननीय पशुपालन मंत्री, हज एवं वक्फ बोर्ड, कर्नाटक सरकार तथा कर्नाटक के यादगीर और बीदर जिलों के प्रभारी मंत्री ने यादगीर के सरकारी बालिका हाई स्कूल में इन नई सुविधाओं का उद्घाटन किया। इस अवसर पर डॉ. उमेश जी जाधव, सांसद (लो.स.), कलबुर्गी; श्री राजा अमरेश्वर नायक, सांसद (लो.स.), रायचूर; श्री वेंकट रेड्डी गौड़ा मुद्नल, विधायक, यादगीर; श्री कुर्मा राव, आईएएस, जिला कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट, यादगीर; श्री बसवराज यदियापुरा, अध्यक्ष, जिला पंचायत, सुश्री शिल्पा शर्मा, आईएएस, सीईओ, जिला परिषद; और श्री हृषिकेश भगवान सोनवणे, आईपीएस, पुलिस अधीक्षक, यादगीर उपस्थित थे ।

सौर ऊर्जा संचालित स्मार्ट क्लास सुविधा में देखने योग्य आकर्षक सामग्री प्रदान की जाती है जो छात्रों को प्रभावी ढंग से जानकारी आत्मसात करने में मदद करती है। इससे शिक्षकों को कठिन अवधारणाओं को आसानी से समझाने में मदद मिलती है, शिक्षण प्रभावशीलता बढ़ती है और छात्रों का शैक्षणिक प्रदर्शन बढ़ता है।

बीईएल द्वारा इन सरकारी स्कूलों में प्रदान की गई स्मार्ट क्लास सुविधाओं में एक 50″ एलईडी टीवी, सहायक उपकरण के साथ सीपीयू, ग्रीन बोर्ड और एलईडी लाइटें शामिल हैं और ये सभी एक बैटरी के साथ एक स्टैंडअलोन सोलर पीवी पावर सिस्टम द्वारा संचालित होती हैं। इन सभी उपकरणों को रखने के लिए एक कैबिनेट भी प्रदान किया गया है। डिजिटल शैक्षणिक सामग्री में राज्य के पाठ्यक्रम के अनुसार 8वीं, 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के विषयों को शामिल किया गया है।

स्मार्ट क्लास सुविधा के अलावा, बीईएल यादगीर के 100 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में रु. 1.02 करोड़ की लागत से हाथ धोने की सुविधा भी स्थापित कर रही है।

बीईएल ने अप्रैल 2018 में पीएम सीपीएसई संगोष्ठी के दौरान भारत सरकार द्वारा शुरु किए गए प्रमुख कार्यक्रम “आशान्वित जिलों का रूपांतरण” के तहत कर्नाटक के यादगीर और रायचूर के महत्वाकांक्षी जिलों में सीएसआर के तहत विभिन्न कार्य किए हैं।

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श्री दिनेश कुमार बत्रा ने बीईएल के निदेशक (वित्त) का कार्यभार संभाला

श्री दिनेश कुमार बत्रा ने 1 अगस्त, 2020 को नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के निदेशक (वित्त) का कार्यभार संभाला।

श्री दिनेश कुमार बत्रा हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू), कानपुर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड (आईआईएफटी), दिल्ली और प्रबंध विकास संस्थान, गुड़गांव के विद्यार्थी हैं। श्री दिनेश बत्रा ने 1984 में बीईएल की गाज़ियाबाद यूनिट में कार्यग्रहण किया और अपने साढ़े तीन दशक लंबे करियर में कंपनी की गाज़ियाबाद, दिल्ली, पुणे और बेंगलूरु यूनिटों में विभिन्न पदों पर कार्य किया। निदेशक (वित्त) के पद पर चयन होने से पहले उन्होंने बीईएल के कार्पोरेट कार्यालय में आंतरिक लेखा परीक्षा, क्षेत्रीय कार्यालय-दिल्ली का नेतृत्व किया और पुणे यूनिट के महाप्रबंधक रहे। लागत और वित्तीय प्रबंधन में अपने अनुभव से उन्होंने पुणे यूनिट के ऊपरी और निचले स्तर के कारोबार में स्थिर और कई गुना की बढ़ोत्तरी की।

श्री दिनेश बत्रा ने इलेक्ट्रो-एक्सप्लोज़िव खंड में प्रवेश करने के कंपनी के प्रयासों में प्रमुख भूमिका निभाई । इलेक्ट्रॉनिक आर्टिलरी फ्यूज़ तथा अन्य गोला-बारूद में भारत को “आत्म-निर्भर” बनाने के लिए, उन्होंने एक्सप्लोज़िव इंटीग्रेशन कॉमप्लेक्स स्थापित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार से नागपूर में 200 एकड़ भूमि आबंटित कराया। भारत सरकार के ई-मोबिलिटी प्रोग्राम में सहयोग करने में ऑटोमोबिल के लिए लियॉन बैटरी पैक के कारोबार में बीईएल का प्रवेश कराने का श्रेय भी उन्हें जाता है। एक्स-रे बैगेज निरीक्षण प्रणाली, फ्यूल सेल, फायबर ऑप्टिक गायरो, केमिकल एजेंट मॉनीटर आदि के स्वदेशी विकास और निर्माण में बीईएल-पुणे के विविधीकरण में आपने प्रमुख भूमिका निभाई।

श्री दिनेश बत्रा में भावी वित्तीय आवश्यकताओं का अनुमान लगाने और उन्हें पूरा करने और इस प्रकार कंपनी के लिए संपदा सृजित करने की क्षमता है। उन्हें वित्त के सभी क्षेत्रों का समृद्ध अनुभव है, उनमें सुदृढ़ विश्लेषणात्मक कौशल है, रणनीतिक सोच और अनुकरणीय नेतृत्व कौशल है।

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बीईएल ने कोविड-19 से लड़ने के लिए प्रधान मंत्री केयर्स निधि में रु. 12.71 करोड़ का अंशदान दिया

नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (बीईएल) के कर्मचारियों ने प्रधान मंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत (पी.एम. केयर्स) निधि में अपने एक दिन का वेतन जो रु. 2.71 करोड़ बनता है, का अंशदान दिया।

भारत में कोविड-19 महामारी से लड़ने और उसे रोकने तथा राहत प्रयासों के लिए पी.एम. केयर्स निधि में कंपनी ने अपनी सीएसआर (कार्पोरेट सामाजिक दायित्व) निधि से रु. 10 करोड़ भी जारी किए।

बीईएल कोविड-19 के खिलाफ़ देश की लड़ाई में हर संभव सहायता दे रही है।

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बीईएल ने सिटी पुलिस के माध्यम से प्रवासी मजदूरों को किराना किट वितरित किया

बेंगलूर, 11 मई, 2020 – नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने अपनी सीएसआर पहल के तहत, कोविड-19 के फैलने से देशव्यापी लॉकडाउन लागू होने के कारण प्रभावित बेंगलूर के प्रवासी मजदूरों की मदद करने की पहल की । बीईएल के बेंगलूर कॉमप्लेक्स ने आज सिटी पुलिस के माध्यम से प्रवासी मजदूरों को रु. 23 लाख मूल्य के 1,300 किराना पैकेट सौंपे ।
श्री विनय कुमार कत्याल, निदेशक, बीईएल-बेंगलूर और श्री शिवकुमारन के एम, निदेशक (एच.आर.), बीईएल ने श्री शशिकुमार एन, आईपीएस, डीसीपी, बेंगलूर नॉर्थ, श्रीमती निशा जेम्स, आईपीएस, एडमिन बेंगलूर, पुलिस आयुक्त कार्यालय और बीईएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारी की उपस्थिति में प्रवासी मजदूरों को चावल, दाल, चीनी और अन्य आवश्यक सामान के पैकेट सौंपे ।

प्रवासी मजदूरों द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए, बीईएल का बेंगलूर कॉम्प्लेक्स लॉकडाउन लागू करने के बाद से, सिटी पुलिस के माध्यम से मजदूरों को प्रतिदिन 250 भोजन के पैकेट उपलब्ध करा रहा है ।

बीईएल के कर्मचारियों ने इससे पहले प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति में राहत के लिए (पीएम केयर) कोष में अपने एक दिन के वेतन रु. 2.71 करोड़ का योगदान दिया था । कंपनी ने भारत में कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने और राहत प्रयासों के लिए अपने सीएसआर निधि से पीएम केयर्स कोष में रु. 10 करोड़ का अंशदान भी दिया ।

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ए.आई.आई.एम.एस.- ऋषिकेश ने बीईएल के साथ साझेदारी की, कोविड-19 से लड़ने का रिमोट हेल्थ मॉनीटरी सिस्टम विकसित किया

बेंगलूरु, 9 अप्रैल, 2020 – अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान (ए.आई.आई.एम.एस.), ऋषिकेश ने नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के सहयोग से एक अत्युन्नत एवं नवीनतम हेल्थ मॉनीटरी सिस्टम विकसित किया है जो घरों और अस्पतालों में कोविड-19 के संदिग्धों / संगरोधी मरीजों के स्वास्थ्य की सुदूर जांच करेगा । इस समाधान से स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मचारियों को बीमारी से संक्रमित होने का खतरा उल्लेखनीय रूप से कम करने में मदद मिलेगी। इससे पी.पी.ई. तथा अन्य लॉजिस्टिक की बढ़ती मांग को कम भी किया जा सकेगा।

कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मचारियों को इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा कम करने के लिए मरीजों की सुदूर निगरानी करने का समाधान विकसित करने की बहुत ज़रूरत महसूस की जा रही थी। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, ए.आई.आई.एम.एस. ऋषिकेश और बीईएल ने मिलकर एक व्यापक डिज़िटल और नैदानिक रूप से उपयुक्त समाधान प्रदान करने का प्रयास किया है। ए.आई.आई.एम.एस. ऋषिकेश द्वारा दी गई सूचना के आधार पर बीईएल ने सिस्टम का प्रूफ़ ऑफ़ कॉन्सेप्ट (PoC) मॉडल विकसित किया जिसमें तापमान, नब्ज़ की दर, SPO2 (सैचुरेटेड ऑक्सीजन लेवल) और श्वास दर जैसी महत्वपूर्ण जानकारी को मापने वाले गैर-आक्रामक स्वास्थ्य निगरानी सेन्सरों को एकीकृत किया गया है। बीईएल, जिसकी नेटवर्क केंद्रित और आई.ओ.टी. सिस्टमों में विशेषज्ञता है, ने इन महत्वपूर्ण जानकारियों की सुदूर निगरानी करने के लिए इन सेन्सरों का नेटवर्क भी तैयार किया है।

कोविड-19 का लक्षण दिखने पर ए.आई.आई.एम.एस. ऋषिकेश में नामांकित होने के लिए, लोगों के लिए एक मोबाइल ऐप / वेब ब्राउज़र विकसित किया गया है। ए.आई.आई.एम.एस. ऋषिकेश मरीज की शिकायतों का अध्ययन करेगा और चिकित्सकीय विशेषज्ञों द्वारा की गई जांच के आधार पर, मरीजों को स्वास्थ्य निगरानी किट दी जाएगी जिससे नैदानिक जानकारी की आवधिक निगरानी की जाएगी।

मरीज के स्थान के साथ-साथ उसकी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मरीज के मोबाइल फ़ोन या इंटीग्रल जीएसएम सिम से क्लाउड पर केंद्रीकृत कमांड व कंट्रोल सेंटर (सी.सी.सी.) पर नियमित रूप से अपलोड की जाएगी । क्लाउड के इस्तेमाल से कोविड-19 के संदिग्धों / मरीजों का डेटाबेस आसानी से प्राप्त किया जा सकेगा।

स्वास्थ्य परिमापियों के निर्धारित स्तर से अधिक होने पर इसमें लगा साफ्टवेयर चिकित्सा अधिकारियों और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मचारियों को संदेश के रूप में चेतावनी देगा। यह विभिन्न रंगों द्वारा मरीज की हालत की गंभीरता भी दर्ज करेगा।

सी.सी.सी. का डेटा विश्लेषण साफ्टवेयर राज्य के कोविड-19 संदिग्धों / मरीजों के भू-वितरण का भौगोलिक नक्शा भी प्रदान करेगा। इससे अस्पताल के प्रशासन को संवेदनशील क्षेत्रों का पता लगाने और वायरस के फैलने की जाँच करने के लिए इन क्षेत्रों को विलगित करने और घेरा लगाने की आवश्यक कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।