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श्री एम वी राज शेखर ने बीईएल के निदेशक (अनुसंधान व विकास) का पद संभाला

बेंगलूरु, 1 सितंबर, 2020: श्री एम वी राजशेखर ने 1 सितंबर, 2020 को नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (बीईएल) के निदेशक (अनुसंधान व विकास) का कार्यग्रहण किया। इस पदोन्नति से पहले वे बीईल के केंद्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला (सीआरएल)-बेंगलूरु में मुख्य वैज्ञानिक और बीईएल के कार्पोरेट कार्यालय में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओ.एस.डी.) थे।

श्री एम वी राजशेखर ने श्री वेंकटेश्वरा यूनिवर्सिटी, तिरुपति से इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार अभियांत्रिकी में बी.टेक करने के बाद 1 फरवरी, 1985 को परिवीक्षाधीन अभियंता के रूप में बीईएल की गाज़ियाबाद यूनिट में कार्य ग्रहण किया था। अपने 35 वर्षों के लंबे करियर में, उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया और बीईएल की विविध प्रौद्योगिकियों में समृद्ध अनुभव अर्जित किया।

बीईएल की गाज़ियाबाद यूनिट में अपने कार्यकाल के दौरान वे स्थैतिक एवं डिज़िटल मोबाइल ट्रोपो-स्कैटर संचार एवं सैटकॉम, रेडार प्रदर्श एवं कमान व कंट्रोल सिस्टम जैसे संचार उत्पादों के परीक्षण में शामिल रहे। वर्ष 2000 में उन्हें हैदराबाद यूनिट भेजा गया जहाँ उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक युद्धपद्धति की विभिन्न प्रणालियों के परीक्षण व कार्यारंभ पर कार्य किया। वर्ष 2004 में उन्हें मछिलिपट्टणम यूनिट भेजा गया।

मछिलिपट्टणम यूनिट में अपने कार्यकाल के दौरान, श्री राज शेखर ने रात्रि दर्शी साधित्र की डिज़ाइन और विकास के लिए योगदान दिया जिसकी गृह मंत्रालय और भारतीय थलसेना को बड़ी मात्रा में आपूर्ति की गई। उन्होंने आई.आर. ऑप्टिक्स में बीईएल के लिए अच्छी डिज़ाइन का आधार तैयार किया और सीआरएल- बेंगलूरु में संकेत प्रसंस्करण विकास की पहल की। आईआरडीई (डीआरडीओ) के सहयोग से अत्याधुनिक व नवीनतम थर्मल इमेजर आधारित साइटों व प्रणालियों के स्वदेशी विकास में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई जिसके कारण कंपनी के कारोबार में उल्लेखनीय प्रगति हुई।

मई 2016 में, उन्हें मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (इलेक्ट्रो ऑप्टिक एवं लेज़र) के पद पर पदोन्नत किया गया। सीटीओ (ईओ एंड एल) के रूप में, उन्होंने बीईएल के उत्पाद विकास एवं नवोन्मेष केंद्र (पीडी एंड आईसी) में इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स एवं लेज़र में अनेक नई परियोजनाओं की पहल की और यूनिट की डी एंड ई और सीआरएल-बेंगलूरु के प्रयासों को गति प्रदान की। भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलूरु और सेंट्रल ग्लास एंड सिरामिक रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीजीसीआरआई) के साथ रणनीतिक सहयोग करते हुए फायबर लेज़र प्रौद्योगिकी के विकास के लिए वे सीआरएल- बेंगलूरु और पीडीआईसी के वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणास्रोत बने।

निदेशक (अनुसंधान व विकास) के रूप में उनकी पदोन्नति से पहले, जून, 2019 में, उन्हें मुख्य वैज्ञानिक के रूप में सीआरएल- बेंगलूरु भेजा गया जहाँ उन्होंने कृत्रिम आसूचना, रोबोटिक्स एवं ड्रोन, सायबर सुरक्षा, क्लाउड एवं डेटा एनालिटिक्स, सामरिक संचार, रेडार सिग्नल एवं डेटा प्रसंस्करण, ईओ एंड एल, स्मार्ट कंप्यूटिंग डिवाइस, एम्बेडेड सिस्टम, नेटवर्किंग डिवाइस और सिस्टम तथा ईडबल्यू एंड अकास्टिक्स के लिए उन्नत सिग्नल प्रोसेसर जैसी विविध प्रौद्योगिकियों पर काम करने वाले लगभग 260 वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व किया।

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बीईएल ने 30,000 वेन्टिलेटर बनाने की उपलब्धि हासिल की

बेंगलूरु, 14 अगस्त, 2020 – भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), रक्षा मंत्रालय के अधीननवरत्न पीएसयू आज कोविद-19 महामारी से लड़ने के अपने प्रयासों में भारत सरकार की मददकरने हेतु रिकार्ड समय में 30,000 आईसीयू वेन्टिलेटरों के निर्माण के सफल समापन की सहर्षघोषणा की। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविद के बढ़ते मामलों को देखते हुए देश कीस्वास्थ्य-सेवा अवसरंचना की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अप्रैल 2020 में इन 30,000आईसीयू वेन्टिलेटरों का आदेश दिया था।

बीईएल ने मे. स्कैनरे टेक्नालॉजीस प्राइवेट लि. मैसूरु के साथ किए गए लाइसेंस करार औरडीआरडीओ के डिज़ाइन सहयोग के आधार पर आईसीयू वेन्टिलेटर, मॉडल सीवी 200 का निर्माणकिया है। अत्यंत जटिल चिकित्सा श्रेणी के मिनिएचर प्रपोर्शनल वाल्व, ऑन/ऑफ सोलिनाएडवाल्व, ऑक्सीजन सेन्सर और फ्लो सेन्सर जैसे महत्वपूर्ण घटकों की अनुपलब्धता को दूर करने केलिए डीआरडीओ, बीईएल और स्कैनरे द्वारा किए गए स्वदेशीकरण के प्रयास निश्चित रूप सेभविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे क्योंकि भारत अब सक्षम और समर्थ चिकित्सा इलेक्ट्रॉनिकपरितंत्र होने पर गर्व कर सकेगा। उक्त आदेश प्राप्त करने के बाद, अपनी दक्ष उत्पाद प्रणालीक्षमताओं के आधार पर, दो सप्ताह के भीतर ही बीईएल ने हर दिन 500 से 1,000 वेन्टिलेटर बनानेकी निर्माण व्यवस्था स्थापित की।

इन वेन्टिलेटरों का निर्माण कार्य गंभीर लॉकडाउन अवधि के दौरान किया गया और आपूर्ति कड़ीसंबंधी बाधाओं से निपटने में बीईएल को विभिन्न सरकारी एजेंसियों से पूरा सहयोग प्राप्त हुआ।चूँकि इन वेन्टिलेटरों का निर्माण केंद्र बीईएल का बेंगलूरु यूनिट था, कर्नाटक सरकार ने लॉकडाउनसंबंधी विभिन्न समस्याओं से निपटने के लिए बीईएल के लिए एक नोडल आई.ए.एस. अधिकारीको नामांकित करते हुए अतिरिक्त समर्थन प्रदान किया। कम समय में 30,000 वेन्टिलेटरों कानिर्माण करने में बीईएल का सहयोग करने वाले अनेक भारतीय उद्योग जिनमें एमएसएमई सेलेकर बड़े कारोबारी गृह शामिल थे, के प्रति भी बीईएल अपना विशेष आभार प्रकट करती है।

भारत भर के विशेषज्ञ डॉक्टरों और अस्पतालों की समिति से प्राप्त बहुमूल्य प्रतिपुष्टि ने बीईएलको भारतीय कोविद मरीजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रचालन केअतिरिक्त तरीकों के साथ वेन्टिलेटर को तुरंत उन्नत करने में मदद की। केंद्र और राज्य सरकार केप्राधिकारियों के बीच निर्बाध समन्वय से बीईएल को प्रतिष्ठित निजी सहयोगियों की मदद सेस्थापना और संस्थापना कार्य तेजी से करने में मदद मिली।

बीईएल इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में अपना सहयोग देने वाले प्रत्येक व्यक्ति को धन्यवाद देती है।बीईएल, डीआरडीओ, स्कैनरे तथा उद्योग के अन्य सभी साझेदारों को चिकित्सा श्रेणी के उपकरणोंको स्वदेशी रूप से बनाने और देश की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को समय पर पूरा करने के लिए एकसक्षम परितंत्र तैयार करने में भारत सरकार की पहल का हिस्सा बनने पर गर्व है। यह भारत सरकारकी मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल का एक सच्चा उदाहरण है।

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रक्षा मंत्री जी ने रणनीतिक उत्पादों के स्वदेशीकरण के लिए बीईएल का ई.ओ.आई. जारी करने की घोषणा की

बेंगलूरु / दिल्ली, 14 अगस्त, 2020 – माननीय रक्षा मंत्री, श्री राजनाथ सिंह जी ने शुक्रवार को आत्मनिर्भर भारत की पहल के अंतर्गत पाँच उत्पादों के स्वदेशीकरण के लिए अंतर सरकारी करार (आई.जी.ए.) और मेक-II वर्ग के तहत नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा जारी किए जा रहे रुचि प्रकटण (ई.ओ.आई.) / प्रस्ताव का अनुरोध (आर.एफ.पी.) की घोषणा वीडियो कॉनफ्रेंसिग द्वारा की।

इस अवसर पर श्री गौतम एम वी, अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक, बीईएल ने पाँच उत्पादों नामत: ब्रेज़िंग वायर, मोशन प्लेटफार्म, 6 डिग्री ऑफ फ्रीडम (DoF) और पेलोड 1000-2000 कि.ग्रा., छोटे आर्म सिम्यूलेटरों के लिए डमी वेपन, सिंगल बोर्ड कंप्यूटर (SBC) और 62X डे ज़ूम लैन्स पर माननीय रक्षा मंत्री जी को प्रस्तुतीकरण दिया।

ब्रेज़िंग वायर विशेष मिश्र धातु के होते हैं जिनका आयात वर्तमान में जर्मनी और यूएसए से किया जा रहा है। इनका उपयोग धातुओं के असमान पुर्जों जिन्हें एक्स-रे और एम.आर.आई. मशीन जैसे चिकित्सा उपकरणों में प्रयोग किया जाता है, को जोड़ने की वैक्यूम ब्रेज़िंग प्रक्रिया में किया जाता है।

मोशन प्लैटफॉर्म, 6 डिग्री ऑफ फ्रीडम (डीओएफ) एंड पेलोड 1000-2000 कि.ग्रा. वेहिक्यूलर सिम्युलेटर जिन्हें वर्तमन में ऑस्ट्रेलिया से मंगवाया जाता है, के लिए एक महत्वपूर्ण सब-एसेंबली होती है।

छोटे आर्म सिम्युलेटर के लिए डमी वेपन विभिन्न छोटे आर्म ट्रेनिंग सिम्यूलेटर का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसे स्वीडन से मंगवाया जाता है और स्वदेशी रूप से उपलब्ध नहीं है । इस सिम्युलेटर से उपयोगकर्ता को किसी भी फायरिंग स्थिति को चुन सकता है, चाहे वह खड़ा हो, घुटने पर हो या लेटा हो । सामूहिक प्रशिक्षण के लिए ऐसे कई प्रशिक्षण सिम्युलेटर स्थापित किए जा सकते हैं ।

सिंगल बोर्ड कंप्यूटर (एसबीसी) स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित एलिन्ट सिस्टम का एक सिस्टम नियंत्रक मॉड्यूल है, जिसे देश की सीमाओं पर तैनात किया जा रहा है । एसबीसी बोर्ड एक बहु-स्तरित पीसीबी है जिसे क्वाड कोर i7 प्रोसेसर और विभिन्न ऑन-बोर्ड इंटरफ़ेस और मेमोरी उपकरणों के साथ डिज़ाइन किया गया है । इसके इंटरफेस में ईथरनेट, यूएसबी पोर्ट और आईए लाइनें होती हैं जिनका उपयोग सिस्टम में अन्य उच्च गति के बोर्ड में संकेतों का पारेषण करने के लिए किया जाता है । इस मॉड्यूल को वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका से मंगवाया जा रहा है और इसे आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वदेशी बनाने का प्रस्ताव है ।

2X डे ज़ूम लैन्स लंबी दूरी का दिन की चौकसी उपकरण का हिस्सा है जिसे वर्तमान में यूएसए से मंगवाया जा रहा है और थलसेना / गृह मंत्रालय द्वारा इसकी बड़ी आवश्यकता महसूस की जा रही है। वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं के लिए रु. 0.1 करोड़ मूल्य के इस लैन्स की खरीद की जानी प्रस्तावित है ।

विक्रेता बैठक – बीईएल ने वेबिनार के माध्यम से विक्रेता बैठक आयोजित की । श्रीमती आनंदी रामलिंगम, निदेशक (विपणन) ने मेक इन इंडिया हिस्से के रूप में विक्रेताओं को बीईएल के विक्रेता विकास कार्यक्रम के बारे में बताया । उन्होंने बीईएल के विक्रेताओं से स्वदेशीकरण की दिशा में बीईएल द्वारा जारी किए गए विभिन्न ईओआई में भाग लेने का आग्रह किया।

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रक्षामंत्री ने बीईएल द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित उत्पादों को लॉन्च किया

बेंगलूर/ दिल्ली, 14 अगस्त, 2020 – माननीय रक्षामंत्री, श्री राजनाथ सिंह जी ने गुरुवार, 13 अगस्त, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्‍यम से भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत विभिन्न रणनीतिक अनुप्रयोगों में उपयोग के लिए स्वदेशी रूप से विकसित दो उत्पादों- लीनियर वेरिएबल डिफरेंशियल ट्रांसड्यूसर (एलवीडीटी) और 1kW ट्रांसमीटर एरियल स्विचिंग रैक लॉन्च किए गए ।

इस अवसर पर श्री गौतम एम वी, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने माननीय रक्षामंत्री को इन उत्पादों पर एक प्रस्तुति दी, जिन्हें बीईएल द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया।

लीनियर वेरिएबल डिफरेंशियल ट्रांसड्यूसर (एलवीडीटी) एक मोशन सेंसिंग और फीडबैक कंट्रोल डिवाइस है, जिसे मुख्य रूप से डीआरडीओ के लैब गैस टर्बाइन रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट (जीटीआरई) और रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) को आपूर्ति के लिए विकसित किया गया है। इसके कार्यात्मक मापदंडों की अपनी उच्च सटीकता के कारण, एलवीडीटी का अनुप्रयोग एयरोस्पेस, मिसाइलों, सौर, विमान इंजन, पवन ऊर्जा और नौसेना प्रणालियों में किया जाता है और यह प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में काम करता है। एलवीडीटी को अनुकूलित रेट्रोफिट आवश्यकता के लिए डिजाइन और विकसित किया गया है। आत्मनिर्भरता की दिशा में इस उत्पाद का विकास भारत के लिए एक बहुत बड़ा कदम है और अगले दो से तीन वर्षों के समय में इससे लगभग रु. 100 करोड़ तक विदेशी मुद्रा की बचत होगी।

1kW ट्रांसमीटर हवाई स्विचिंग रैक (एएसआर) को बीईएल द्वारा पूरी तरह से संस्थागत रूप से डिजाइन किया गया है, जिसकी आपूर्ति भारतीय नौसेना के जहाजों पर एडवांस्ड कंपोज़िट कम्यूनिकेशन सिस्टम (एसीसीएस) के तहत की जाएगी। इस कॉन्फ़िगरेशन से चार उच्च आवृत्ति (एच.एफ.) ट्रांसमीटरों को चार एच.एफ. एंटेना को किसी भी संयोजन में एंटेना ट्यूनिंग यूनिट (ए.टी.यू.) में स्विच किया जा सकता है । इससे उपयोगकर्ता अधिकता के लिए किसी भी रेडियो को किसी भी एंटेना के साथ स्विच कर सकते हैं। इस सिस्टम को आईपी आधारित नेटवर्क में सुदूर रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।

एएसआर यूएसए से एचएफ एरियल स्विचिंग यूनिट के लिए एक आयात प्रतिस्थापन है और इससे प्रति यूनिट लगभग रु. 30 लाख की एफए बचत होगी ।

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आत्मनिर्भर भारत’ की पहल को ध्यान में रखते हुए बीईएल ने एटीडीएस मारीच विनिर्माणी सुविधा अपग्रेड किया

बेंगलूर/ दिल्ली, 10 अगस्त, 2020 – माननीय रक्षा मंत्री, श्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसके माध्यम से उन्नत, अत्याधुनिक मारीच एकीकरण सुविधा का उद्घाटन किया।

श्री गौतम एम वी, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने इस अवसर परमाननीय रक्षा मंत्री को उन्नत टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम (एटीडीएस) मारीच पर एक प्रस्तुति दी। बीईएल कीयह पहल माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदृष्टि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अनुरूप है।

एटीडीएस मारीच पूरी तरह स्वदेशी प्रणाली है जिसमें डीआरडीओ लैब, नौसैनिक भौतिकी एवं समुद्रविज्ञानीप्रयोगशाला (एनपीओएल) और नौसैनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीय प्रयोगशाला (एनएसटीएल) द्वारासंयुक्त रूप से विकसित सेन्सर और डिकॉय हैं और जिनका उत्पादन कार्य बीईएल द्वारा किया गया है।बीईएल द्वारा निर्मित दो उत्पादन श्रेणी की प्रणालियों को आईएनएस गोमती और आईएनएस गंगा परसंस्थापित किया गया और परीक्षण किया गया है। भारतीय नौसेना ने मारीच प्रणाली की आपूर्ति के लिएबीईएल के साथ एक संविदा किया है।

एटीडीएस मारीच प्रस्तुत करने से पहले, भारतीय नौसेना ने 12 प्लेटफार्मों के लिए इस प्रणाली का आयातकिया था। लेकिन अब इस प्रणाली के स्वदेशी विकास से, बीईएल ने प्रत्येक वर्ष 12 एटीडीएस मारीच सिस्टमबनाने और सुपुर्द करने की क्षमता अपनी मौजूदा सुविधाओं को उन्नत किया है। इस सुविधा से बीईएलभारतीय नौसेना के सतही जहाजों के लिए संभावित टारपीडो हमलों के प्रति विश्वसनीय रक्षा तंत्र-प्रणालीप्रदान करने में सक्षम है। उन्नत एटीडीएस सुविधाओं में इलेक्ट्रॉनिक केबिनेट, एक्सपेंडेबल डिकॉय विनिर्माणऔर टाउड ऐरे एकीकरण एवं परीक्षण सुविधा (रैम्प स्ट्रक्चर, ऑयल फिलिंग सुविधा, लोड टेस्ट सुविधा औरन्यूट्रल बायेंसी टैंक सुविधा) के लिए टेस्ट बे शामिल हैं। बीईएल ने लगभग रु. 12 करोड़ की लागत सेएटीडीएस निर्माण के लिए एक नए भवन का निर्माण किया है। स्वदेशी रूप से विकसित मारीच प्रणालीआत्मनिर्भर भारत’ की ओर एक बड़ा कदम है क्योंकि इसकी प्रत्येक प्रणाली से देश को लगभग यूएसडी 4मिलियन की बचत होती है।

फोटो कैप्शन-

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बीईएल की उन्नत, अत्याधुनिक मारीच एकीकरण सुविधा काउद्घाटन करते हुए माननीय रक्षामंत्री, श्री राजनाथ सिंह, ।

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बीईएल ने यादगीर जिले में सरकारी स्कूलों को स्मार्ट क्लास सुविधा से लैस किया

बेंगलूर, 05 अगस्‍त, 2020 – नवरत्‍न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने अपनी सीएसआर पहल के तहत यादगीर जिला, कर्नाटक के 122 सरकारी उच्च विद्यालयों को सौर ऊर्जा से संचालित स्मार्ट क्‍लास सुविधाओं से लैस करते हुए वहां पढ़ रहे लगभग 13,000 बच्चों को कर सशक्त बनाया है। इस परियोजना की कुल लागत रू. 3.84 करोड़ है।

4 अगस्त, 2020 को श्री प्रभु बी चौहान, माननीय पशुपालन मंत्री, हज एवं वक्फ बोर्ड, कर्नाटक सरकार तथा कर्नाटक के यादगीर और बीदर जिलों के प्रभारी मंत्री ने यादगीर के सरकारी बालिका हाई स्कूल में इन नई सुविधाओं का उद्घाटन किया। इस अवसर पर डॉ. उमेश जी जाधव, सांसद (लो.स.), कलबुर्गी; श्री राजा अमरेश्वर नायक, सांसद (लो.स.), रायचूर; श्री वेंकट रेड्डी गौड़ा मुद्नल, विधायक, यादगीर; श्री कुर्मा राव, आईएएस, जिला कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट, यादगीर; श्री बसवराज यदियापुरा, अध्यक्ष, जिला पंचायत, सुश्री शिल्पा शर्मा, आईएएस, सीईओ, जिला परिषद; और श्री हृषिकेश भगवान सोनवणे, आईपीएस, पुलिस अधीक्षक, यादगीर उपस्थित थे ।

सौर ऊर्जा संचालित स्मार्ट क्लास सुविधा में देखने योग्य आकर्षक सामग्री प्रदान की जाती है जो छात्रों को प्रभावी ढंग से जानकारी आत्मसात करने में मदद करती है। इससे शिक्षकों को कठिन अवधारणाओं को आसानी से समझाने में मदद मिलती है, शिक्षण प्रभावशीलता बढ़ती है और छात्रों का शैक्षणिक प्रदर्शन बढ़ता है।

बीईएल द्वारा इन सरकारी स्कूलों में प्रदान की गई स्मार्ट क्लास सुविधाओं में एक 50″ एलईडी टीवी, सहायक उपकरण के साथ सीपीयू, ग्रीन बोर्ड और एलईडी लाइटें शामिल हैं और ये सभी एक बैटरी के साथ एक स्टैंडअलोन सोलर पीवी पावर सिस्टम द्वारा संचालित होती हैं। इन सभी उपकरणों को रखने के लिए एक कैबिनेट भी प्रदान किया गया है। डिजिटल शैक्षणिक सामग्री में राज्य के पाठ्यक्रम के अनुसार 8वीं, 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के विषयों को शामिल किया गया है।

स्मार्ट क्लास सुविधा के अलावा, बीईएल यादगीर के 100 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में रु. 1.02 करोड़ की लागत से हाथ धोने की सुविधा भी स्थापित कर रही है।

बीईएल ने अप्रैल 2018 में पीएम सीपीएसई संगोष्ठी के दौरान भारत सरकार द्वारा शुरु किए गए प्रमुख कार्यक्रम “आशान्वित जिलों का रूपांतरण” के तहत कर्नाटक के यादगीर और रायचूर के महत्वाकांक्षी जिलों में सीएसआर के तहत विभिन्न कार्य किए हैं।

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श्री दिनेश कुमार बत्रा ने बीईएल के निदेशक (वित्त) का कार्यभार संभाला

श्री दिनेश कुमार बत्रा ने 1 अगस्त, 2020 को नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के निदेशक (वित्त) का कार्यभार संभाला।

श्री दिनेश कुमार बत्रा हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू), कानपुर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड (आईआईएफटी), दिल्ली और प्रबंध विकास संस्थान, गुड़गांव के विद्यार्थी हैं। श्री दिनेश बत्रा ने 1984 में बीईएल की गाज़ियाबाद यूनिट में कार्यग्रहण किया और अपने साढ़े तीन दशक लंबे करियर में कंपनी की गाज़ियाबाद, दिल्ली, पुणे और बेंगलूरु यूनिटों में विभिन्न पदों पर कार्य किया। निदेशक (वित्त) के पद पर चयन होने से पहले उन्होंने बीईएल के कार्पोरेट कार्यालय में आंतरिक लेखा परीक्षा, क्षेत्रीय कार्यालय-दिल्ली का नेतृत्व किया और पुणे यूनिट के महाप्रबंधक रहे। लागत और वित्तीय प्रबंधन में अपने अनुभव से उन्होंने पुणे यूनिट के ऊपरी और निचले स्तर के कारोबार में स्थिर और कई गुना की बढ़ोत्तरी की।

श्री दिनेश बत्रा ने इलेक्ट्रो-एक्सप्लोज़िव खंड में प्रवेश करने के कंपनी के प्रयासों में प्रमुख भूमिका निभाई । इलेक्ट्रॉनिक आर्टिलरी फ्यूज़ तथा अन्य गोला-बारूद में भारत को “आत्म-निर्भर” बनाने के लिए, उन्होंने एक्सप्लोज़िव इंटीग्रेशन कॉमप्लेक्स स्थापित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार से नागपूर में 200 एकड़ भूमि आबंटित कराया। भारत सरकार के ई-मोबिलिटी प्रोग्राम में सहयोग करने में ऑटोमोबिल के लिए लियॉन बैटरी पैक के कारोबार में बीईएल का प्रवेश कराने का श्रेय भी उन्हें जाता है। एक्स-रे बैगेज निरीक्षण प्रणाली, फ्यूल सेल, फायबर ऑप्टिक गायरो, केमिकल एजेंट मॉनीटर आदि के स्वदेशी विकास और निर्माण में बीईएल-पुणे के विविधीकरण में आपने प्रमुख भूमिका निभाई।

श्री दिनेश बत्रा में भावी वित्तीय आवश्यकताओं का अनुमान लगाने और उन्हें पूरा करने और इस प्रकार कंपनी के लिए संपदा सृजित करने की क्षमता है। उन्हें वित्त के सभी क्षेत्रों का समृद्ध अनुभव है, उनमें सुदृढ़ विश्लेषणात्मक कौशल है, रणनीतिक सोच और अनुकरणीय नेतृत्व कौशल है।

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बीईएल ने कोविड-19 से लड़ने के लिए प्रधान मंत्री केयर्स निधि में रु. 12.71 करोड़ का अंशदान दिया

नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (बीईएल) के कर्मचारियों ने प्रधान मंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत (पी.एम. केयर्स) निधि में अपने एक दिन का वेतन जो रु. 2.71 करोड़ बनता है, का अंशदान दिया।

भारत में कोविड-19 महामारी से लड़ने और उसे रोकने तथा राहत प्रयासों के लिए पी.एम. केयर्स निधि में कंपनी ने अपनी सीएसआर (कार्पोरेट सामाजिक दायित्व) निधि से रु. 10 करोड़ भी जारी किए।

बीईएल कोविड-19 के खिलाफ़ देश की लड़ाई में हर संभव सहायता दे रही है।

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बीईएल ने सिटी पुलिस के माध्यम से प्रवासी मजदूरों को किराना किट वितरित किया

बेंगलूर, 11 मई, 2020 – नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने अपनी सीएसआर पहल के तहत, कोविड-19 के फैलने से देशव्यापी लॉकडाउन लागू होने के कारण प्रभावित बेंगलूर के प्रवासी मजदूरों की मदद करने की पहल की । बीईएल के बेंगलूर कॉमप्लेक्स ने आज सिटी पुलिस के माध्यम से प्रवासी मजदूरों को रु. 23 लाख मूल्य के 1,300 किराना पैकेट सौंपे ।
श्री विनय कुमार कत्याल, निदेशक, बीईएल-बेंगलूर और श्री शिवकुमारन के एम, निदेशक (एच.आर.), बीईएल ने श्री शशिकुमार एन, आईपीएस, डीसीपी, बेंगलूर नॉर्थ, श्रीमती निशा जेम्स, आईपीएस, एडमिन बेंगलूर, पुलिस आयुक्त कार्यालय और बीईएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारी की उपस्थिति में प्रवासी मजदूरों को चावल, दाल, चीनी और अन्य आवश्यक सामान के पैकेट सौंपे ।

प्रवासी मजदूरों द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए, बीईएल का बेंगलूर कॉम्प्लेक्स लॉकडाउन लागू करने के बाद से, सिटी पुलिस के माध्यम से मजदूरों को प्रतिदिन 250 भोजन के पैकेट उपलब्ध करा रहा है ।

बीईएल के कर्मचारियों ने इससे पहले प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति में राहत के लिए (पीएम केयर) कोष में अपने एक दिन के वेतन रु. 2.71 करोड़ का योगदान दिया था । कंपनी ने भारत में कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने और राहत प्रयासों के लिए अपने सीएसआर निधि से पीएम केयर्स कोष में रु. 10 करोड़ का अंशदान भी दिया ।

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ए.आई.आई.एम.एस.- ऋषिकेश ने बीईएल के साथ साझेदारी की, कोविड-19 से लड़ने का रिमोट हेल्थ मॉनीटरी सिस्टम विकसित किया

बेंगलूरु, 9 अप्रैल, 2020 – अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान (ए.आई.आई.एम.एस.), ऋषिकेश ने नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के सहयोग से एक अत्युन्नत एवं नवीनतम हेल्थ मॉनीटरी सिस्टम विकसित किया है जो घरों और अस्पतालों में कोविड-19 के संदिग्धों / संगरोधी मरीजों के स्वास्थ्य की सुदूर जांच करेगा । इस समाधान से स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मचारियों को बीमारी से संक्रमित होने का खतरा उल्लेखनीय रूप से कम करने में मदद मिलेगी। इससे पी.पी.ई. तथा अन्य लॉजिस्टिक की बढ़ती मांग को कम भी किया जा सकेगा।

कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मचारियों को इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा कम करने के लिए मरीजों की सुदूर निगरानी करने का समाधान विकसित करने की बहुत ज़रूरत महसूस की जा रही थी। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, ए.आई.आई.एम.एस. ऋषिकेश और बीईएल ने मिलकर एक व्यापक डिज़िटल और नैदानिक रूप से उपयुक्त समाधान प्रदान करने का प्रयास किया है। ए.आई.आई.एम.एस. ऋषिकेश द्वारा दी गई सूचना के आधार पर बीईएल ने सिस्टम का प्रूफ़ ऑफ़ कॉन्सेप्ट (PoC) मॉडल विकसित किया जिसमें तापमान, नब्ज़ की दर, SPO2 (सैचुरेटेड ऑक्सीजन लेवल) और श्वास दर जैसी महत्वपूर्ण जानकारी को मापने वाले गैर-आक्रामक स्वास्थ्य निगरानी सेन्सरों को एकीकृत किया गया है। बीईएल, जिसकी नेटवर्क केंद्रित और आई.ओ.टी. सिस्टमों में विशेषज्ञता है, ने इन महत्वपूर्ण जानकारियों की सुदूर निगरानी करने के लिए इन सेन्सरों का नेटवर्क भी तैयार किया है।

कोविड-19 का लक्षण दिखने पर ए.आई.आई.एम.एस. ऋषिकेश में नामांकित होने के लिए, लोगों के लिए एक मोबाइल ऐप / वेब ब्राउज़र विकसित किया गया है। ए.आई.आई.एम.एस. ऋषिकेश मरीज की शिकायतों का अध्ययन करेगा और चिकित्सकीय विशेषज्ञों द्वारा की गई जांच के आधार पर, मरीजों को स्वास्थ्य निगरानी किट दी जाएगी जिससे नैदानिक जानकारी की आवधिक निगरानी की जाएगी।

मरीज के स्थान के साथ-साथ उसकी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मरीज के मोबाइल फ़ोन या इंटीग्रल जीएसएम सिम से क्लाउड पर केंद्रीकृत कमांड व कंट्रोल सेंटर (सी.सी.सी.) पर नियमित रूप से अपलोड की जाएगी । क्लाउड के इस्तेमाल से कोविड-19 के संदिग्धों / मरीजों का डेटाबेस आसानी से प्राप्त किया जा सकेगा।

स्वास्थ्य परिमापियों के निर्धारित स्तर से अधिक होने पर इसमें लगा साफ्टवेयर चिकित्सा अधिकारियों और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मचारियों को संदेश के रूप में चेतावनी देगा। यह विभिन्न रंगों द्वारा मरीज की हालत की गंभीरता भी दर्ज करेगा।

सी.सी.सी. का डेटा विश्लेषण साफ्टवेयर राज्य के कोविड-19 संदिग्धों / मरीजों के भू-वितरण का भौगोलिक नक्शा भी प्रदान करेगा। इससे अस्पताल के प्रशासन को संवेदनशील क्षेत्रों का पता लगाने और वायरस के फैलने की जाँच करने के लिए इन क्षेत्रों को विलगित करने और घेरा लगाने की आवश्यक कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।